विनोद कुमार यादव ने बुधवार को अपने विस्तारित कार्यकाल में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाल लिया और उम्मीद है कि वह राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर के पहले सीईओ बनाए जाएंगे। राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर का हाल ही में व्यापक प्रशासनिक पुनर्गठन किया गया और इसी के तहत सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) का पद सृजित किया गया है। पुनर्गठन कवायद के मद्देनजर यादव का एक साल का कार्यकाल विस्तार अहम है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में इसके पुनर्गठन के लिए मंजूरी दी थी। यादव को उनके पहले कार्यकाल में एक जनवरी 2019 को रेलवे बोर्ड का अध्यक्ष और भारत सरकार का पदेन प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया था। उससे पहले उन्होंने दक्षिण मध्य रेलवे के महाप्रबंधक के रूप में काम किया था।रेलवे बोर्ड अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान न केवल कैडरों के विलय की घोषणा की गई बल्कि बोर्ड को छोटा भी किया गया और लगभग 50 अधिकारियों को मुख्यालय से जोनल कार्यालयों में स्थानांतरित कर दिया गया। इसके अलावा, ‘‘निजी परिचालकों’’ को कुछ ट्रेनें चलाने की अनुमति दी गयी और रेलवे के सार्वजनिक उपक्रमों के निगमीकरण की घोषणा भी की गयी। यादव की शैक्षणिक योग्यता में आस्ट्रेलिया के ला ट्रोब विश्वविद्यालय से एमबीए और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग (इलेक्ट्रिकल) में स्नातक शामिल है। यदि यादव को सीईओ नियुक्त किया जाता है तो उन पर कैडर नियंत्रण की जिम्मेदारी होगी और डीजी (एचआर) उनकी सहायता करेंगे।
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