उत्तर प्रदेश में चुनावी आहट के साथ ही विपक्षी ट्विटर योद्धा अब रथारूढ़ हो चुके हैं। 12 अक्टूबर को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनावी रथ लेकर निकले थे। इसी दिन उनके चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव भी रथ लेकर निकले। अब कांग्रेस की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी अश्वमेध की तर्ज पर चार दिशाओं से रथ रवाना कर दिए हैं। बसपा का हाथी जरूर ठहरा हुआ है और दावा है कि पार्टी बूथ स्तर पर चुनावी तैयारियां कर रही है।अखिलेश यादव का लक्ष्य रथ पर सवार होकर प्रदेशभर के विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचना है। यह रथ तीन माह तक अलग-अलग चरण में घूमेगा। लखनऊ से यह रवाना हो चुका है और बुंदेलखंड तक का रास्ता मथ चुका है। फिर इसी तरह अलग हिस्सों में जाएगा।जाहिर है, इस दौरान रथारूढ़ नेता सत्तारूढ़ दल की खामियां गिना रहे हैं और यह भी बता रहे हैं कि हम जब थे तो हमने यह किया और अब जब आएंगे तो यह करेंगे। पहले चरण में अखिलेश ने रथयात्र लखनऊ से कानपुर तक निकाली जिसे अपने लिए वह भाग्यशाली मानते हैं। इसके पीछे 2011 का इतिहास है। वर्ष 2011 में भी अखिलेश रथ लेकर निकले थे और 2012 में उनके सत्तारूढ़ होने में यह यात्र काफी अहम मानी गई थी। अखिलेश को यह इतिहास दोहराने की उम्मीद है। सपा ने इसे विजय रथ यात्र का नाम दिया है।
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