उत्तर मध्य रेलवे बना देश में ऊर्जा संरक्षण का अग्रणी ज़ोन

प्रयागराज — उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) का बिजली विभाग पर्यावरण संरक्षण और सतत ऊर्जा उपयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को एक मिशन के रूप में आगे बढ़ा रहा है। एनसीआर ने अपने कार्यालय भवनों को ‘शून्य’ और ‘शून्य-प्लस’ ऊर्जा प्रमाणीकरण दिलाने की दिशा में एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की है, जो देशभर में रेलवे द्वारा हरित ऊर्जा को अपनाने की दिशा में एक मिसाल है।
इस योजना के अंतर्गत भवनों की कुल ऊर्जा खपत का आकलन कर, विश्वस्तरीय तकनीकों और सौर पैनलों की सहायता से उनकी ऊर्जा आवश्यकताओं की आपूर्ति स्व-निर्भर तरीके से की जाती है। परिणामस्वरूप, इन भवनों को ऊर्जा संरक्षण ब्यूरो (बीईई) द्वारा ‘शून्य’ और ‘शून्य-प्लस’ प्रमाणपत्र जारी किया गया है।
वर्ष 2024-25 की प्रमुख उपलब्धियाँ:
● एनसीआर के 10 भवनों को BEE द्वारा ‘शून्य/शून्य-प्लस’ प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ है। इसमें धौलपुर (राजस्थान) का यात्री आरक्षण कार्यालय, झांसी के वैगन मरम्मत कारखाना परिसर का प्रशिक्षण केंद्र, अलीगढ़ का पार्सल कार्यालय, कानपुर विद्युत लोको शेड के 4 भवन और महाप्रबंधक कार्यालय प्रयागराज के 3 भवन शामिल हैं।
भविष्य की संभावनाएँ:
● अगले चरण में 19 भवनों की पहचान की गई है, जिनमें BEE प्रमाणीकरण की पूर्ण संभावना है। इसमें सूबेदारगंज स्टेशन, एम.डी.डी.टी.आई. कानपुर, खजुराहो और टीकमगढ़ स्टेशन, झांसी वैगन कारखाने के कई भवन आदि शामिल हैं।
सौर ऊर्जा उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति:
● वर्ष 2024-25 (अप्रैल से मार्च) में एनसीआर द्वारा 12.7 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्रों से 11.87 मिलियन यूनिट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन किया गया। इससे ₹5.34 करोड़ की बचत हुई और लगभग 9968 मीट्रिक टन CO₂ उत्सर्जन रोका गया।
आगामी योजना:
● जून 2025 तक 17.84 मेगावाट के नए सौर संयंत्र लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिससे सालाना 32.3 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन और ₹14.9 करोड़ की अनुमानित बचत होगी। इससे 27187 मीट्रिक टन CO₂ उत्सर्जन में कमी आएगी।
राष्ट्रीय मान्यता:
● ऊर्जा संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए उत्तर मध्य रेलवे को ‘राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार 2023’ (जोनल रेलवे श्रेणी), ‘उत्तर प्रदेश ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार 2024’ (प्रथम स्थान), और सूबेदारगंज स्टेशन को ‘सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट’ प्राप्त हुआ है।

उत्तर मध्य रेलवे अपनी हरित ऊर्जा पहल के माध्यम से रेलवे नेटवर्क को पर्यावरण के अनुकूल, सस्टेनेबल और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निरंतर अग्रसर है।

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