केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अदालत के पूर्व के आदेश को वापस लेने की मांग संबंधी उसकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की जाए क्योंकि सेना को चारधाम परियोजना में चीन सीमा तक जाने वाली चौड़ी सड़कों की जरूरत है। 900 किलोमीटर की रणनीतिक चारधाम राजमार्ग परियोजना का मकसद उत्तराखंड में चारों धामों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को हर मौसम में सड़कों से जोड़े रखना है।जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की पीठ को अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने एक आवेदन दाखिल किया है जिसमें अदालत के पूर्व के आदेश को वापस लिए जाने की मांग की गई है। उन्होंने बताया कि अदालत ने पहले कहा था कि सड़कों की चौड़ाई 5.5 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। पीठ ने कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह प्रधान न्यायाधीश से निर्देश हासिल करे और अन्य याचिकाओं के साथ मामले को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करे।शीर्ष अदालत ‘सिटीजंस फार ग्रीन दून’ नामक गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में गणेशपुर-देहरादून मार्ग (एनएच-72ए) पर बिना मंजूरी पेड़ों की कटाई रोकने के निर्देश देने की मांग की गई है। यह मार्ग दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का हिस्सा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि एक बार वन मंजूरी मिल जाने के बाद पेड़ों की कटाई के लिए अलग से मंजूरी की कोई जरूरत नहीं है। एनजीओ की ओर से पेश अधिवक्ता ऋत्विक दत्ता ने कहा, एनजीटी ने कहा है कि पेड़ों की कटाई के लिए सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी आवश्यक है और इस मामले में ऐसी कोई मंजूरी हासिल नहीं की गई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामला दीवाली की छुट्टियों के बाद उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा।
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