जिलों में नियुक्त एडीजीसी को अकारण, वगैर सुने हटाना असंवैधानिक:हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शनिवार को दिए अपने एक फैसले में कहा कि जिले में नियुक्त अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी) को अकारण उन्हें सुनवाई का अवसर दिए वगैर हटाना संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट ने जिला जज बलिया व डीएम की संस्तुति के बाद सरकार द्वारा एडीजीसी की नियुक्ति का नवीनीकरण न करने तथा बाद में उस पद को भरने की प्रक्रिया को गलत करार दिया है तथा इसके खिलाफ दायर याचिका को मंजूर कर लिया है। यह आदेश जस्टिस बी.के नारायण व जस्टिस प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने बलिया के पूर्व एडीजीसी (क्रिमिनल) श्याम नारायण यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

याचिका दायर कर प्रमुख सचिव लाॅ के 27 अक्तूबर 2017 के उस आदेश को चुनौती दी गयी थी, जिसके द्वारा नियुक्ति के नवीनीकरण अर्जी को अस्वीकार कर दिया गया था। अस्वीकार करने के बाद जिला में पद को भरने के लिए जारी अधिसूचना 8 दिसम्बर 17 तथा याची को पदभार सौंपने के लिए जारी निर्देश 1 नवम्बर 17 को भी चुनौती दी गयी थी। कहा गया था कि एडीजीसी पदों पर नियुक्ति एल आर मैनुअल के प्रावधानों के तहत की जाती है। इस कारण कोई भी कार्रवाई करने से पूर्व इस मैनुअल के प्रावधानों का पालन करना चाहिए। ऐसा न करने से आदेश गलत माना जाएगा। कहा यह भी गया था कि याची के खिलाफ आदेश पारित करने से पूर्व उसे सुनवाई का अवसर नहीं मिला, जो गलत था।

जबकि सरकार के तरफ से बहस की गयी थी कि एडीजीसी पदों पर नियुक्ति व बने रहने का कोई विधिक अधिकार नहीं है। इन पदों पर बने रहना सरकार के विवेकाधिकार के अधीन है। हाईकोर्ट ने पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपने निर्णय में कहा कि एल आर मैनुअल के प्रावधानों के तहत किसी एडीजीसी का कार्यकाल खत्म होने से तीन माह पूर्व जिला जज व डीएम अपनी रिपोर्ट भेजता है। याची के मामले में नियुक्ति का नवीनीकरण खारिज करने से पूर्व कोई कारण नहीं दर्शाया गया है कि क्यों जिला जज की संस्तुति नहीं स्वीकार की गयी। एडीजीसी की नियुक्ति एल आर मैनुअल के प्रावधानों के तहत निर्धारित शर्तों के अधीन होती है। कोर्ट ने रिकॉर्ड भी तलब किया था तथा पाया कि उसमें कोई कारण याची के खिलाफ नहीं लिखा है।
कोर्ट ने कहा कि एडीजीसी पद पर नियुक्त याची को बिना सुनवाई का अवसर दिए व बिना कोई कारण स्पष्ट किए हटाना संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन है। कोर्ट ने चुनौती दिए आदेशों को रद्द कर दिया है। परन्तु कोर्ट ने कहा कि इस आदेश का यह अभिप्राय न समझा जाए कि याची को बहाल किया जाय। हाईकोर्ट ने याची के मामले में नये सिरे से चार माह के भीतर एल आर मैनुअल के प्रावधानों के तहत नियमानुसार निर्णय लेने को कहा गया है।

Related posts

Leave a Comment