ज्वाला देवी गंगापुरी में हुआ विद्वत परिषद का गठन

प्रयागराज । स्थानीय प्रो0 राजेन्द्र प्रसाद सिंह (रज्जू भैया) शिक्षा प्रसार समिति द्वारा संचालित ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज गंगापुरी रसूलाबाद प्रयागराज में ’’विद्वत परिषद गठन समारोह’’ का आयोजन वन्दना सभागार में किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन माॅ सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन, दीपार्चन एवं वन्दना से हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डा0 महेन्द्र राम जी (अवकाश प्राप्त,उच्च शिक्षा निदेशक), अध्यक्ष  हितेश सिंह  (स्टेशन अधीक्षक, प्रयाग), विशिष्ट अतिथि डा0 शैलेन्द्र मिश्र  (एसोसियेट प्रोफेसर, मानवशास्त्र विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद) एवं मुख्य वक्ता के रूप में डा0 अभिषेक त्रिपाठी (प्रधानाचार्य, सरस्वती देवी परमानन्द सिन्हा इण्टर कालेज, कौड़िहार प्रयागराज) उपस्थित रहे।
अतिथि परिचय विद्यालय के प्रधानाचार्य  युगल किशोर मिश्र ने कराया। साथ ही कहा कि समाज में विद्वान जनों के द्वारा ही भावी पीढ़ी का निर्माण होता है। इसी बात का ध्यान रखते हुये विद्याभारती के विद्यालयों में विद्वत परिषद का गठन किया जाता है। इसी क्रम में विद्यालय की छात्रा सिद्धिका त्रिपाठी व शिवानी मिश्रा ने विद्वान जनों पर आधारित हृदयस्पर्शी गीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात कार्यक्रम संयोजक जनार्दन प्रसाद दूबे द्वारा विद्वत परिषद में चयनित पदाधिकारियों की घोषणा की गई जिसमें डा0 महेन्द्र राम (संरक्षक), हितेश कुमार सिंह (अध्यक्ष), निर्मल कुमार द्विवेदी (उपाध्यक्ष), डा0 शैलेन्द्र कुमार मिश्र (मंत्री), डा0 अभिषेक त्रिपाठी एवं डा0 अनन्त कुमार गुप्त (सहमंत्री), डा0 पंकज यादव (सचिव), चन्द्रमौलि त्रिपाठी (सहसचिव) निर्वाचित हुये।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने ‘हमारा अतीत एवं गौरव’ विषय पर अपने उद्बोधन में कहा कि – विद्या भारती द्वारा संचालित विद्यालयों की इस परम्परा में सभी विद्वत जनों को बुलाकर अविस्मरणीय सम्मान दिया है तथा प्राचीन काल से ही समाज के विकास में विद्वानों में जैसे शंकराचार्य, कुमारिल भट्ट, मण्डन मिश्र, रामकृष्ण परमहंश,  आदि के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। एक अच्छे समाज की संकल्पना गुरू व ज्ञान के बिना सम्भव ही नहीं है। इसलिए हम सभी को सदैव शिक्षार्थियों में उनकी आत्मशक्ति को विकसित करते रहना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ने अपने कार्यकाल के अनुभव कथन कहते हुये कहा कि मैं विद्वतजनों का इस प्रकार का सम्मान देखकर अभिभूत हुआ तथा माताओं को ही शिशुओं की प्रथम गुरू व पाठशाला कहा। प्राचीन समय से ही भारत को ‘विश्वगुरु’ कहा जाता है. इसका कारण यह है कि धर्म, दर्शन, विज्ञान, वास्तु, ज्योतिष, खगोल, स्थापत्यकला, नृत्यकला, संगीतकला, आदि सभी तरह के ज्ञान का जन्म भारत में हुआ। मध्यकाल में भारतीय गौरव को नष्ट किया गया और आज का भारतीय, पश्चिमी सभ्यता को महान् समझता है। इसका कारण यह है कि योजनाबद्ध तरीके से हमारे शास्त्रों को ‘मिथक’ और ‘काल्पनिक’ कहकर प्रचारित किया गया और केवल पुरातात्त्विक साक्ष्यों को ही प्रमाण माना गया। कुछ वर्षों पहले ही अमेरिकी भू-वैज्ञानिकों ने मान लिया है कि भारत में रामेश्वरम के नजदीक पामबन द्वीप से श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक लंबी बनी पत्थरों की 30 मील लंबी श्रृंखला मानव-निर्मित है। इस तरह हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में जिस पुल का जिक्र है और जो भारत-श्रीलंका को जोड़ता है, वह सच है। अमेरिका में डिस्कवरी कम्युनिशेन के साइंस चैनल ने ‘व्हाट ऑन अर्थ एनसिएंट लैंड एंड ब्रिज’ नाम से एक वृत्तचित्र का प्रसारण भी किया है, जिसमें भू-वैज्ञानिकों की तरफ से यह विश्लेषण इस ढांचे के बारे में किया गया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2002 में नासा ने श्रीरामसेतु के चित्र लेकर उसे 17,50,000 वर्ष प्राचीन बताया था।
कार्यक्रम अध्यक्ष ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम से आये हुये विद्वानों में विश्वास को पुनः जागृति करना होता है जिससे समाज व शिक्षार्थी के सद्चरित्र विकास हेतु एक उर्जा प्राप्त होती है।
सम्पूर्ण कार्यक्रम की प्रस्ताविकी डा0 विन्ध्यवासिनी त्रिपाठी जी (प्रधानाचार्य, माधव ज्ञान केन्द्र इण्टर कालेज, नैनी प्रयागराज) ने रखा। कार्यक्रम में धनंजय पांडेय,ए पी सिंह, प्रमोद मिश्रा, एस एन तिवारी, राजकुमार सिंह आदि विद्वानजन एवं आचार्य/आचार्या उपस्थित रहे। आये हुए सभी अतिथियों एवं विद्वान जनों का आभार ज्ञापन डा0 शैलेन्द्र मिश्र तथा कार्यक्रम का संचालन आचार्य सरोज सिंह ने किया।

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