ब्लाइंड महिला राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट से जुड़े ब्रायन लारा और स्मृति मंधाना

समानता और समता को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत क्रिकेट एसोसिएशन फॉरब्लाइंड इन इंडिया (सीएबीआई) ने समर्थनम ट्रस्ट फॉर द ब्लाइंड के साथ मिलकर दृष्टिबाधित महिलाओं केलिए पहली बार राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजित कराने का फैसला किया है। भारत की अग्रणी महिला क्रिकेट खिलाड़ी स्मृति मंधाना इस अभियान में सीएबीआई के साथ हैं। ऐसे मेंसीएबी को आशा है कि वह प्रतिभाशाली महिला क्रिकेटरों की इच्छाओं को पूरा करते हुए उन्हें आने वाली पीढ़ीके लिए रोल मॉडल के रूप में तैयार करने में सफल होगा।

सीएबीआई को आशा है कि उसके इस प्रयास में बीसीसीआई का भी समर्थन और सहयोग प्राप्त होगा।सीएबीआई के अधिकारी हाल ही में बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली और संयुक्त सचिव जयेश शाह से इस सम्बंध में मिले थे। इस टूर्नामेंट को समर्थनम विमेंस नेशनल क्रिकेट टूर्नामेंट फॉर ब्लाइंड 2019 नाम दिया गया है। इसकाआयोजन 16 से 19 दिसम्बर के बीच होना है और इसे वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा का पूरासहयोग प्राप्त है।

लारा ने कहा कि विक्लांगता कभी भी किसी के सपने की राह में बाधा नहीं बन सकती। मैं सीएबीआई औरसमर्थनम ट्रस्ट के इस प्रयास की सराहना करता हूं। मेरा मानना है कि दुनिया भर में कहीं भी अगर इतनेमजबूत स्टेकहोल्डर्स एक साथ आएंगे तो फिर ब्लाइंड क्रिकेट को आगे जाने से कोई नहीं रोक सकता। इसतरह के टूर्नामेंट प्रतिभाशाली महिलाओं के लिए एक शानदार प्लेटफार्म साबित होंगे। इस तरह के आयोजनोंसे ये महिलाओं सशक्त होंगी।

टूर्नामेंट में सात टीमें भाग ले रही हैं। इनमें दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, ओडिशा और पश्चिमबंगाल की टीमें शामिल हैं। ये टीमें दिल्ली के तीन मैदानों सिरी फोर्ट स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, डीडीए स्पोर्ट्सकॉपम्लेक्स और जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी में एक-दूसरे के खिलाफ मैदान पर उतरेगीं।

टूर्नामेंट का फाइनल सिरी फोर्ट स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में 19 दिसंबर को खेला जाएगा। सीएबीआई के अध्यक्ष और वर्ल्ड ब्लांइड क्रिकेट के प्रमुख जी. महंतेश ने कहा, ‘‘पिछले 10 वर्षों से महिलाक्रिकेट मुख्यधारा में थी और हमारा ऐसा मानना है कि उन्हें भी खेलने का समान अधिकार मिलना चाहिए।2010 में समर्थनम द्वारा सीएबीआई को इसकी पूरी जिम्मेदारी देने के बाद हमने तुरंत ही इस पर काम करनाशुरू कर दिया है। हमें इस बात का बेहद गर्व है कि आखिरकार हम इसे लागू कर सके।’’

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