भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की तीन शीर्ष रक्षा कंपनियों की सामूहिक बिक्री 2018 में 6.9 प्रतिशत घटकर 5.9 अरब अमेरिकी डॉलर रह गई। हालांकि, इस दौरान वैश्विक स्तर पर हथियारों की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है। भारत की रक्षा क्षेत्र की तीनों कंपनियां दुनिया की शीर्ष 100 हथियार आपूर्तिकर्ताओं में आती हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (एसआईपीआरआई) ने सोमवार को कहा कि क्षेत्र की 100 सबसे बड़ी कंपनियों (चीन की कंपनियों को छोड़कर) की कुल हथियार और सैन्य सेवाओं की बिक्री 2018 में 4.6 प्रतिशत बढ़कर 420 अरब डॉलर रही। एसआईपीआरआई के हथियार उद्योग के डाटाबेस के नए आंकड़ों के अनुसार शीर्ष 100 में शामिल कंपनियों की हथियार एवं सैन्य सेवाओं की बिक्री 2002 से 47 प्रतिशत बढ़ी है। इस डाटाबेस में चीन की कंपनियों के आंकड़ों को विश्वसनीय अनुमान के अभाव में शामिल नहीं किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में दुनिया की शीर्ष 100 हथियार विनिर्माताओं में से 80 अमेरिका, यूरोप और रूस की कंपनियां थीं। शेष 20 में छह जापान की, तीन-तीन इस्राइल, भारत और दक्षिण कोरिया की, दो तुर्की की और एक-एक आस्ट्रेलिया, कनाडा और सिंगापुर की कंपनियां थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शीर्ष 100 में शामिल भारत की तीन कंपनियों की बिक्री 2018 में घटकर 5.9 अरब डॉलर रह गई। यह 2017 की तुलना में 6.9 प्रतिशत की गिरावट है। इस गिरावट की प्रमुख वजह भारतीय आयुध कारखाने की हथियार बिक्री में 27 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट है। एसआईपीआरआई की सूची में शामिल तीन भारतीय कंपनियों में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लि. (एचएएल) 38वें, भारतीय आयुध कारखाना 56वें और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (बीईएल) 62वें स्थान पर है। शीर्ष 100 कंपनियों की बिक्री में भारत की तीन कंपनियों का हिस्सा 1.4 प्रतिशत है।
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