प्रयागराजए । माघ मेला में पावन गंगा के तटए मोरी रोड पर सेवारत क्रियायोग शिविर में गुरुजी स्वामी श्री योगी सत्यम् जी ने आत्म नियंत्रण प्रविधि का अभ्यास कराते हुए उपस्थित समूह को स्पष्ट किया कि जिस समय मनुष्य आत्म नियंत्रण को आत्म यातना समझता हैए उसी समय मनुष्य के अस्तित्व में सभी प्रकार की बीमारियों के पनपने का वातावरण बन जाता है। क्रियायोग के अभ्यास से मनुष्य स्पष्ट अनुभव करता है कि आत्म नियंत्रण आत्म यातना नहीं हैए अपितु इसकी अपेक्षा यह आत्मा के आनन्द की ओर ले जाता है। क्रियायोग के अभ्यास से इन्द्रियों के तुच्छए निम्न सुखों के मार्ग से हटकर मनुष्य एक अनन्त आनन्द के एक विशाल राज्य में प्रवेश करता है। जिस प्रकार एक शराबी स्वास्थ्य नष्ट करने वाली शराब का आदि होता हैए परन्तु यही व्यक्ति जब क्रियायोग से जुड़ जाता है तो वह कहता है कि ध्यान की शांति तथा आनन्द के बिना वह जी नहीं सकता। शांति व आनन्द की अनुभूति को ही ईश्वर की अनुभूति कहते हंै। ईश्वर अनुभूति में सब कुछ समाहित हैए इसी में मनुष्य को सृष्टि का आदि.मध्य.अंत का अनुभूति जन्य ज्ञान प्राप्त होता है। इस समय मनुष्य अनुभव करता है कि वह सर्वव्यापी अमर अस्तित्व है। इसी अनुभूति को अहम् ब्रह्मास्म् िकहते हैं और इसे बाइबिल में आई एण्ड गाॅड आर वन ; प् ंदक ळवक ंतम व्दम द्ध कहते हैं।
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