एचबीटीयू के शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि शिक्षण संस्थाएं भारत को नाॅलेज सुपर पावर बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में अपना अहम योगदान दें। एचबीटीयू में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को कार्य रूप देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। नई शिक्षा नीति द्वारा ऐसी उच्चतर शिक्षा की व्यवस्था की जानी है, जो परंपरा से पोषण प्राप्त करती हो और अपने दृष्टिकोण में आधुनिक व भविष्योन्मुख भी हो। हम सब जानते हैं कि दुनिया में वही देश अग्रणी रहते हैं जो इनोवेशन और नई तकनीक को प्राथमिकता देकर अपने देशवासियों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए निरंतर सक्षम बनाते हैं।उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा सूत्र की संस्तुति की गई है, इससे विद्यार्थियों में सृजनात्मक क्षमता विकसित होगी तथा भारतीय भाषाओं की ताकत और बढ़ेगी। कहा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सोच के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वैज्ञानिक व तकनीकी शिक्षा शोध को भारतीय भाषाओं से जोड़ने की संस्तुति की गई है। विश्वास है कि एचबीटीयू संस्थाएं इस शिक्षा नीति को सभी प्रमुख शिक्षा संस्थान लागू करेंगे तथा भारत को सुपर पावर बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में अपना योगदान देंगे।उन्होंने कहा कि कानपुर के किसी भी शिक्षण संस्थान में आकर उनके मन में अपने विद्यार्थी जीवन की स्मृतियां ताजा हो जाती हैं क्योंकि उनकी शिक्षा भी कानपुर में ही हुई थी और जिस क्षेत्र में आप अपने जीवन निर्माण का आरंभिक बताते हैं, उस स्थान से विशेष लगाव होना स्वाभाविक है। कानपुर को मेनचेस्टर आफ ईस्ट, लेदर सिटी आफ द वर्ल्ड तथा इंडस्ट्रियल हब के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एचबीटीयू ने जो टेक्नोलॉजी और मानव संसाधन उपलब्ध कराए हैं वह महत्वपूर्ण हैं।राष्ट्रपति ने कहा कि तकनीक के क्षेत्र में भारत ने अपनी साख बढ़ाई है लेकिन अभी हमारे देश को बहुत आगे जाना है। इस संबंध में एचबीटीयू जैसे संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। उनके मुताबिक देश के टेक्निकल संस्थानों को अपने विद्यार्थियों में अन्वेषण, नवाचार और उद्यमशीलता की सोच विकसित करने के प्रयास करने चाहिए। उन्हें शुरू से ही ऐसा वातावरण प्रदान करना चाहिए जिससे वे जॉब लेने वाले की जगह जॉब देने वाले बनें। डिजिटल अर्थव्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि इस युग में भारत में युवा सफलता के ऐसे अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं जिनकी कुछ वर्षों पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।न्होंने बताया कि वर्ष 1990 के बाद जन्म लेने वाले तेरह युवा उद्यमियों ने 1000 करोड़ से अधिक की आय अर्जित कर बिलेनियर क्लब में अपना स्थान बनाया है। इनमें एक 23 वर्ष का नवयुवक भी है जिसने 3 साल पहले 20 वर्ष की उम्र में डिजिटल तकनीक पर आधारित अपना कारोबार शुरू किया था और उसकी कंपनी हर महीने 300 करोड़ रुपए की डिजिटल लैंडिंग कर रही है। भारत में 1000 करोड़ से अधिक एसेट वैल्यू उद्यमियों की संख्या 65 फीसद है, वे स्वावलंबन के बल पर सफल उद्यमी बने हैं।उन्होंने कहा कि हमारे देश में किसी भी तकनीकी वास्तविक सफलता तब मानी जा सकती है जब उससे समाज के सबसे पिछड़े और वंचित वर्ग भी लाभान्वित हो। विश्वविद्यालय आइआइटी के साथ मिलकर शिक्षा स्वास्थ्य आजीविका और पर्यावरण के क्षेत्रों में प्रोटोटाइप विकसित करने की दिशा में आगे कदम बढ़ाए हैं। हमारी बेटियों को प्रदर्शन बहुत प्रभावशाली रहता है लेकिन तकनीकी शिक्षा की क्षेत्र में आज भी बेटियों की भागीदारी संतोषजनक नहीं है। पीएचडी में तो छात्र-छात्राओं की संख्या करीब करीब बराबर है लेकिन बीटेक और एमटेक में छात्राओं की संख्या बहुत कम है। आज जरुरत की बेटियों को तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाए।
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