लद्दाख के लोगों की आवाज सुने केंद्र, पदयात्रा रोकने से कुछ हासिल नहीं किया जा सकता : Akhilesh Yadav

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र से जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक सहित लद्दाख के लोगों की ‘‘आवाज’’ सुनने का आग्रह किया, जिन्हें पुलिस ने कथित तौर पर दिल्ली की सीमा पर रोक दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जो लोग शांति से डरते हैं, वे अंदर से डरे हुए लोग होते हैं। भाजपा सरकार पर्यावरण रक्षक व लद्दाख हितैषी सोनम वांगचुक जी की शांतिपूर्ण दिल्ली यात्रा को बाधित करके कुछ भी हासिल नहीं कर सकती। केंद्र अगर सरहद की आवाज नहीं सुनेगा तो ये उसकी राजनीतिक श्रवणहीनता कहलाएगी।’’

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और दिल्ली सीमा पर हिरासत में लिये गए अन्य लोगों ने मंगलवार को उन पुलिस थानों पर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया जहां उन्हें रखा गया है। इन लोगों को उस समय हिरासत में लिया गया जब वे लद्दाख के लिए छठी अनुसूची में दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर राजधानी की ओर मार्च कर रहे थे। वांगचुक, एक महीने पहले लेह से शुरू हुई ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ का नेतृत्व कर रहे है। उन्हें और लद्दाख के लगभग 120 अन्य लोगों को सोमवार रात हिरासत में लिया गया।

पदयात्रा का आयोजन ‘लेह एपेक्स बॉडी’ द्वारा किया गया था, जो ‘करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ के साथ मिलकर पिछले चार साल से लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा दिए जाने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने, लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग के साथ ही शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू करने और लेह एवं करगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटों की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, वांगचुक और उनके साथ आए लोगों को निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के लिए दिल्ली सीमा पर हिरासत में लिया गया और उन्हें बवाना, नरेला औद्योगिक क्षेत्र और अलीपुर सहित विभिन्न पुलिस थानों में ले जाया गया। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कानून एवं व्यवस्था का हवाला देते हुए अगले छह दिनों के लिए शहर के मध्य और सीमावर्ती क्षेत्रों में किसी भी विरोध प्रदर्शन या पांच और उससे अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने के खिलाफ निषेधाज्ञा जारी की थी।

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