अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैसों के दाम घटने के बावजूद कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) और पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) की दरें कम होने के फिलहाल कोई आसार नहीं हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सरकार ने घरेलू गैस की दरें दोगुणा कर दी हैं, लिहाजा विदेश से आयात की जाने वाली गैस की दरों में कमी के बावजूद उपभोक्ता को राहत नहीं मिल पा रही है।
सीएनजी और पीएनजी की खपत को पूरा करने के लिए देश में उत्पादित गैस के अलावा विदेश से भी आयात करनी पड़ती है। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस की कीमत 39.90 मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) थी, जो अब घटकर 30 एमएमबीटीयू तक आ गई है। इसके बावजूद उपभोक्ताओं को 87.80 रुपये किग्रा और पीएनजी 49.80 प्रति क्यूबिक स्टैंडर्ड मीटर ही मिल रही है।
अब उपभोक्ताओं के मन में सवाल उठ रहे हैं कि जब अंतराष्ट्रीय बाजार में गैस की दरें नौ डालर कम हो गई तो इसका लाभ क्यों नहीं मिल रहा है। आखिर क्यों बढ़ी दरों पर ही सीएनजी और पीएनजी मिल रही है। पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि दरअसल देश में सीएनजी व पीएनजी की खपत को पूरा करने के लिए घरेलू गैस के अलावा बड़ी मात्रा में विदेशों से भी आयात कर इसे मिलाया जाता है।
31 मार्च तक सरकार जहां कंपनियों को घरेलू गैस यानी देश में उत्पादित गैस 2.9 डालर प्रति एमएमबीटीयू में दे रही थी वहां एक अप्रैल को बढ़कर 6.1 डालर हो गई। यानी जहां विदेश से आने वाली गैस सस्ती हुई वहीं देश में उत्पादित गैस महंगी हो गई। यही वजह है कि उपभोक्ताओं को कम हुई अंतरराष्ट्रीय दरों का लाभ नहीं मिल रहा है।लखनऊ और आगरा सहित पांच शहरों में सीएनजी और पीएनजी की आपूर्ति करने वाली ग्रीन गैस लिमिटेड के निदेशक जेपी सिंह का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दरें घटी हैं लेकिन घरेलू गैस के दाम बढऩे के कारण उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।