पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में रविवार को मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों की विशेष बैठक के दौरान अफगानिस्तान में बिगड़ती मानवीय स्थिति पर चर्चा की गई और इससे निपटने के लिए दुनियाभर से मदद का आह्वान किया गया। सऊदी अरब के प्रस्ताव पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआइसी) के विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) का 17वां विशेष सत्र अफगानिस्तान की मानवीय स्थिति को दुनिया के सामने लाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। दावा है कि इसमें 70 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 20 विदेश मंत्री और 10 उप विदेश मंत्री शामिल हैं।पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने भाषण में अमेरिका से अफगानिस्तान के चार करोड़ लोगों व तालिबान के प्रति अपनी नीति को अलग करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘अगर दुनिया ने कदम नहीं उठाया तो यह सबसे बड़ा मानव निर्मित संकट होगा। अफगानिस्तान में अव्यवस्था फैल जाएगी।’ उन्होंने इस्लामोफोबिया (इस्लाम से डर) के खतरे का भी विशेष रूप से जिक्र किया। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने स्वागत भाषण में अफगानियों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस्लामिक देशों से अफगानिस्तान की मदद करने की अपील की। कहा कि संबंध अच्छे नहीं होने के बावजूद पाकिस्तान ने भारत को अपने देश के रास्ते अफगानिस्तान को गेहूं व दवा भेजने की सहमति दी। सत्र को ओआइसी सम्मेलन के बतौर चेयरमैन सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल सौद, महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा व इस्लामिक विकास बैंक के अध्यक्ष मुहम्मद अल जसर ने भी संबोधित किया।संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस की ओर से मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स ने अफगानिस्तान संकट पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है। करीब 2.3 करोड़ लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। दुनिया को अफगानिस्तान की मदद के लिए आगे आना चाहिए।’
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