अभी हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा था कि 50 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते प्रकोप पर करीबी नजर रखी जानी चाहिए। हालांकि इसी के साथ WHO ने कहा कि मंकीपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति घोषित करने की आवश्यकता नहीं है। अब खबर है कि अफ्रीका के स्वास्थ्य अधिकारियों मंकीपॉक्स के प्रकोप को एक आपात स्थिति के रूप में मान रहे हैं।
यही नहीं, स्वास्थ्य अधिकारी अमीर देशों से आह्वान कर रहे हैं कि वे मदद करें। अधिकारियों का कहना है कि कोरोना के समय पूरी दुनिया में वैक्सीन को लेकर काफी उथलपुथल देखने को मिली और गरीब देशों तक टीके सही से नहीं पहुंच पाए थे। अमीर देशों से मदद की गुहार लगाते हुए कहा गया है कि मंकीपॉक्स के टीकों की सीमित आपूर्ति को साझा करें।
मंकीपॉक्स दशकों से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के कुछ हिस्सों में लोगों को बीमार कर रहा है। लैब की कमी और कमजोर निगरानी सिस्टम के चलते पूरे महाद्वीप में कई मामले सामने नहीं आ पा रहे हैं। अब तक, अफ्रीका के देशों ने इस वर्ष 1,800 से अधिक संदिग्ध मामलों की सूचना दी है, जिनमें 70 से अधिक मौतें शामिल हैं, लेकिन केवल 109 मामलों की ही लैब में पुष्टि हुई है। अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के कार्यवाहक निदेशक अहमद ओगवेल ने कहा, “हमारे लिए इस विशेष प्रकोप का मतलब एक आपात स्थिति है। हम अब एक आपात स्थिति के रूप में मंकीपॉक्स को संबोधित करने में सक्षम होना चाहते हैं ताकि इससे अधिक दर्द और पीड़ा न हो।”
डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन समिति ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा कि प्रकोप के कई पहलू ‘‘असामान्य’’ थे और माना कि मंकीपॉक्स के खतरों पर वर्षों से गौर नहीं किया गया है। हालांकि, समिति ने कहा कि मंकीपॉक्स कुछ अफ्रीकी देशों में अब महामारी नहीं रह गया है। बयान के मुताबिक, ‘‘कुछ सदस्यों ने अलग-अलग विचार व्यक्त किए हैं। हालांकि, समिति ने डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक को सर्वसम्मति से यह सुझाव देने का निर्णय लिया है कि मंकीपॉक्स को इस स्तर पर ‘‘वैश्विक आपातकाल की स्थिति’’ नहीं घोषित करना चाहिए।’’
हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने प्रकोप की ‘‘आपातकालीन प्रकृति’’ की तरफ इशारा किया है और कहा है कि इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए ‘‘तेजी से कदम उठाने’’ की जरूरत है। समिति ने कहा कि प्रकोप पर ‘‘करीबी नजर रखने और कुछ हफ्तों के बाद स्थिति की समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है।’’