सनातन धर्म में एकादशी का बड़ा ही धार्मिक महत्व है। यह शुभ दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। साधक इस दिन श्री हरि विष्णु के लिए व्रत रखते हैं और उनसे सुख शांति का आशीर्वाद मांगते हैं। एकादशी व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन द्वादशी तिथि को समाप्त होता है, जो लोग एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उनके सभी दुखों का अंत होता है। ऐसे में हर किसी को यह व्रत विधि अनुसार करना चाहिए।
एकादशी आरंभ – 8 नवंबर 08:20 से
एकादशी समापन – 9 नवंबर सुबह 10:41 तक।
पारण का समय – 10 नवंबर सुबह 05:52 बजे से सुबह 08:07 बजे तक।
एकादशी व्रत का महत्व
सनातन धर्म में एकादशी का व्रत बेहद खास माना गया है। लोग इस दिन को भक्ति और समर्पण के साथ मनाते हैं। यह व्रत सभी वैष्णवों द्वारा किया जाता है और वे भगवान विष्णु का आशीर्वाद मांगते हैं।
साल में कुल 24 एकादशी मनाई जाती है और ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस शुभ दिन पर उपवास रखते हैं, वे पिछले जन्म के बुरे कर्मों से मुक्त हो जाते हैं और मृत्यु के बाद वैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त करते हैं।
एकादशी व्रत पूजा विधि
- ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें।
- घर और मंदिर को साफ करें।
- किसी चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- दीया जलाएं, पीले चंदन और हल्दी कुमकुम से तिलक करें, घर में बनी मिठाई और तुलसी पत्र चढ़ाएं।
- शाम को विधि अनुसार पूजा करें, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- व्रत कथा पढ़ें और अंत में आरती करें।
- सात्विक भोजन से अपने व्रत का पारण करें।
- व्रत अगले दिन द्वादशी तिथि को पारण के समय खोला जाएगा।