प्रदेश को जल्द नए विधानसभा की सौगात मिलेगी। इसकी घोषणा शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने विधानसभा में की। सदन की कार्यवाही स्थगित करने से पहले महाना ने बताया कि सरकार ने नये भवन के लिए वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में टोकन के तौर पर 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
सरकार का लक्ष्य है कि 18वीं विधानसभा के कम से कम एक सत्र का आयोजन नये भवन में हो। मौजूदा विधानभवन काफी पुराना है, जबकि बढ़ती जरूरतों के मुताबिक स्थान कम होने और आसपास बढ़ते यातायात के दबाव को देखते हुए सरकार ने नये भवन का फैसला किया है।
पूर्व में इसकी घोषणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक जल्द ही नये भवन के लिए स्थान चिह्नित कर लिया जाएगा। साथ ही कोशिश होगी कि 2027 के पहले नये भवन का निर्माण पूरा करा लिया जाए। नया भवन ईको फ्रेंडली, भूकंपरोधी और आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा।
1922 में रखी गई थी मौजूदा विधानभवन की नींव
मौजूदा विधानभवन की नींव 15 दिसंर, 1922 को तत्कालीन गवर्नर सर स्पेंसर हरकोर्ट बटलर द्वारा रखी गई थी। करीब छह साल में तैयार हुए इस भवन का 21 फरवरी, 1928 को उद्घाटन हुआ। निर्माण कलकत्ता की मेसर्स मार्टिन एंड कंपनी द्वारा किया गया। मुख्य आर्किटेक्ट सर स्विनोन जैकब और हीरा सिंह थे। उस समय निर्माण के लिए 21 लाख रुपये स्वीकृत हुए थे। यह भवन का स्थापत्य यूरोपियन व अवधी निर्माण की मिश्रित शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। मौजूदा विधानसभा में फिलहाल 403 विधायकों को बैठने की व्यवस्था है।
वहीं, विधान परिषद की बैठकों एवं कार्यालय कक्षों के लिए एक अलग चेंबर का प्रस्ताव जुलाई 1935 में किया गया था। मुख्य वास्तुविद एएम मार्टीमंर द्वारा एक्सटेंशन भवन का निर्माण कराया गया जो लोक निर्माण विभाग की देखरेख में नवंबर 1937 में पूरा हुआ। इसमें फिलहाल 100 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है।
चुनार के पत्थरों का उपयोग
अर्धचक्राकार दो मंजिले विधानभवन के निर्माण में चुनार (मिर्जापुर) के भूरे रंग के बलुआ पत्थरों के ब्लाॅक का इस्तेमाल किया गया है। अर्धचक्र के बीच में गोथिक शैली का गुंबद है, जिसके शीर्ष पर एक आकर्षक छतरी है। इस गुंबद के चारों ओर सजावट के रूप में रोमन शैली में बड़े आकार की पत्थर की मूर्तियां बनी हुई हैं। भवन के बाहरी भाग के पोर्टिको के ऊपर संगमरमर से प्रदेश का राज्य चिह्न बना हुआ है।
आगरा व जयपुर के संगमरमर से बनी हैं दीर्घाएं
मौजूदा विधानभवन के अंदर अनेक हाल एवं दीर्घाएं हैं जो मुख्यत: आगरा और जयपुर के संगमरमर से बनी हैं। ऊपरी मंजिल तक जाने के लिए मुख्य द्वार के दाहिने एवं बायी ओर अत्यन्त सुन्दर शैली में संगमरमर निर्मित गोलाकार सीढिय़ा बनी हैं। इन सीढिय़ों की दीवारों पर विशिष्ट प्रकार की पेन्टिंग बाद में करायी गयी है।
अष्टकोणीय है मुख्य हाल
गुम्बद के नीचे अष्टकोणीय चेम्बर अर्थात मुख्य हाल बना है। इसकी वास्तुकला अत्यन्त ही आकर्षक पच्चीकारी शैली में है। हाल की गुंबदीय आकार की छत में जालियां तथा नृत्य करते हुए आठ मोरों की अत्यन्त सुन्दर आकृतियां बनी है। इसी चेम्बर में विधान सभा की बैठकें होती है। माननीय सदस्यों के लिए चेम्बर के दोनों तरफ एक-एक बड़ी लाबी है।