उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के राष्ट्रीय शिल्प मेला में सांस्कृतिक संध्या में विभिन्न राज्यों की अद्वितीय छटा से दर्शक मंत्रमुग्ध

प्रयागराज।
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के अद्भुत संगम तीर्थराज प्रयागराज की पावन धरती पर उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रयागराज द्वारा १२ दिवसीय राष्ट्रीय शिल्प मेले की आज दसवें दिवस में सांस्कृतिक संध्या एवं शिल्पकारी की अप्रतिम शोभा ने पूरे प्रयागराज वासियों के बीच चर्चा का स्थान ले लिया है। एक ओर शिल्पगत सामग्रियों की धूम मची थी वहीं हरियाणा राज्य से आए बीन वादन की धुन पर दर्शक थिरकते दिखे, तो कई व्यंजनों की स्टॉल पर लंबी कतारें दिखी। टेराकोटा के कारीगर अपनी मूतियों के कारण चर्चा का विषय बने हुए हैं तो वहीं सांस्कृतिक संध्या में विभिन्न राज्यों की अद्वितीय छटा से दर्शक मंत्रमुग्ध होते दिखे।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रयागराज के सुपरिचित लोकगीत गायक जनक जी के द्वारा ‘पंवारा गीत’ ‘‘राम गइले बनवा, भई सिया के हरनवा’’ व प्रयागराज की सुप्रसिद्ध भजन एवं लोकगीत गायिका सुश्री स्वाती निरखी एवं दल द्वारा माता जंगदम्बा की स्तुति में ‘‘जगदम्बा घर में दियरा बार अइली हो’’ को दर्शकों की भरपूर तालियों का समर्थर्न मिला वहीं तेलंगाना राज्य से आये हुए कलाकारों ने लम्बाड़ी नृत्य को प्रस्तुत किया जो कि मुख्यताः राजस्थाने के बंजारे-घुमक्कड़ समूह का नृत्य है, साथ ही उड़ीसा के कलाकारों ने सम्बलपुरी चुटकुचुटा की प्रस्तुति की। अरूणांचल से आये से आये कलाकारों ने पारम्परिक परिधानों में सुसज्जित होकर आंचलिक भाषा में लोकगीतों की धुन पर जू-जू, जा-जा नृत्य की प्रस्तुति की, जिसे दर्शकों ने विशेष रूप से सराहा। जटाशंकर एवं उनके साथी कलाकारों द्वारा माता भगवती की उपासना व ग्रामीण परिवेश को परिलक्षित करते हुए चौलर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी, वहीं मराठवाड़ा की मराठी संस्कृति को समाज के मानस पटल पर उकेरते हुए श्रृंगार रस से भरपूर लावड़ी नृत्य की प्रस्तुति की गयी, जिसे दर्शकों की भरपूर सराहना और प्यार मिला।
कार्यक्रम के समापन पर केन्द्र निदेशक ने सभी उपस्थित दर्शकों एवं श्रोताओं का भी धन्यवाद ज्ञापित किया।

Related posts

Leave a Comment