उत्‍तर मध्‍य रेलवे मुख्‍यालय में क्षेत्रीय राजभाषा कार्यान्‍वयन समिति की बैठक का आयोजन

 उत्‍तर मध्‍य रेलवे मुख्‍यालय में महाप्रबंधक श्री राजीव चौधरी की अध्‍यक्षता में क्षेत्रीय राजभाषा कार्यान्‍वयन समिति की बैठक संपन्‍न हुई। आन लाइन बैठक में शामिल सभी अधिकारियों को संबोधित करते हुए महाप्रबंधक श्री चौधरी ने कहा कि सरकारी कार्यों में राजभाषा हिंदी का प्रयोग करना हमारे प्रशासनिक दायित्‍व का अभिन्‍न अंग है। इससे भी अधिक यह एक संवैधानिक और राष्‍ट्रीय कर्तव्‍य है, जो हमें निरंतर ही एक बड़ी जिम्‍मेदारी का अहसास कराता है। हिंदी देश की संपर्क भाषा और राजभाषा है, साथ ही रेलवे जैसी जन-परिवहन प्रणाली में यात्रियों और उपयोगकर्ताओं की संपर्क भाषा के रूप में भी इसे नया आयाम मिला है और इसका राष्‍ट्रीय स्‍वरूप समृद्ध हुआ है। श्री राजीव चौधरी ने कहा कि उत्‍तर मध्‍य रेलवे पूरी तरह ‘क’ क्षेत्र में है। इसलिए हम सबसे विशेष रूप से अपेक्षा की जाती है कि हिंदी के प्रयोग-प्रसार में अपने उत्‍कृष्‍ट कार्य और योगदान से मिसाल पेश करें। महाप्रबंधक महोदय ने कहा कि उत्‍तर मध्‍य रेलवे में हिंदी के प्रयोग- प्रसार और कार्यान्‍वयन का जो उत्‍कृष्‍ट कार्य किया जा रहा है, वह बहुत ही सराहनीय है। इसमें सभी रेलकर्मियों के सामूहिक और सम्मिलित योगदान की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। इसके फलस्‍वरूप पूर्व में हमारी रेल को भारतीय रेल स्‍तर पर राजभाषा का सर्वोच्‍च सम्‍मान हासिल हुआ है तथा विगत दो वर्षों के दौरान हमारे कार्यालयों में राजभाषा के प्रयोग-प्रसार की निरीक्षण बैठकों में संसदीय राजभाषा समिति द्वारा उत्तर मध्य रेलवे के कार्यों की प्रशंसा की गई। श्री चौधरी ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए आगे कहा कि राजभाषा के कार्यान्‍वयन में राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3) की मदों, पत्राचार, टिप्‍पणी, निरीक्षण रिपोर्ट, बैठक की कार्यवाही आदि में राजभाषा के निर्धारित लक्ष्‍यों को पूरा करना तथा उन्‍हें बनाए रखना सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण कार्य है। सभी सदस्‍य इन मदों में राजभाषा की प्रगति पर नजर रखें तथा पाई जाने वाली कमियों को दूर कराएं। स्‍टेशनों पर ग्राहक सुविधा एवं सेवा के परंपरागत कार्यों के अतिरिक्‍त नई और आधुनिक सुविधाएं उपलब्‍ध कराई जा रही हैं। यात्री एवं ग्राहक सुविधा और सेवा की सभी मदों में अपेक्षानुसार हिंदी तथा हिंदी-अंग्रेजी द्विभाषी रूप का प्रयोग सुनिश्चित किया जाए। बैठक से पूर्व महाप्रबंधक श्री राजीव चौधरी द्वारा मुख्‍यालय की राजभाषा पत्रिका ‘रेल संगम’ का विमोचन किया गया।

        बैठक के प्रारंभ में मुख्‍य राजभाषा अधिकारी एवं वरिष्‍ठ उप महाप्रबंधक श्री नवीन कुमार सिन्‍हा ने समिति के सभी सदस्‍यों को राजभाषा का प्रयोग प्रसार बढ़ाने के लिए किए गए कार्यों से अवगत कराते हुए कहा कि पिछली बैठक के बाद से अब तक 6 हिंदी कार्यशालाएं आयोजित की गई। ‘महात्मा गाँधी के जीवन, कर्म, दर्शन और हिंदी’ विषय पर ऑनलाइन संगोष्‍ठी का आयोजन किया गया। सतर्कता जागरूकता सप्‍ताह और संविधान दिवस के अवसर पर हिंदी में निबंध और प्रश्‍नोत्‍तरी प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। इसके अलावा साहित्यिक संगोष्ठियां भी आयोजित की गईं।

इस अवसर पर प्रधान मुख्‍य वाणिज्‍य प्रबंधक श्री एम.एन. ओझा ने धर्मवीर भारती के साहित्‍य पर चर्चा करते हुए कहा कि धर्मवीर भारती का साहित्‍य ऐसी रूमानी संवेदनाओं की अभिव्‍यक्ति है, जिसके शिल्‍प एवं वस्‍तु संयोजना में मि‍थकीय, ऐतिहासिक और समाकलीन यथार्थ तथा आधुनिक भावबोध एवं तीक्ष्‍ण अंतर्द्वंद्व की समवेत अभि‍व्‍यंजना हुई है। भारती की कोमलकांत शब्‍द योजना सुमित्रानंदन पंत से भी अधिक हृदयग्राही है। भारती के उपन्‍यास गुनाहों का देवता, सूरज का सातवां घोड़ा, काव्‍यनाटक अंधायुग तथा काव्‍यकृति कनुप्रिया हर पीढ़ी के पाठकों की प्रिय रचनाएं हैं। उन्‍होंने समकालीन लोकप्रिय पत्रिका धर्मयुग का संपादन कर उसे साहित्‍य एवं संस्‍कृति के साथ साथ विवि‍ध क्षेत्रों में श्रेष्‍ठता के शीर्ष पर पहुँचा दिया। उनके नाट्य गीत ‘अंधायुग’ की शुरुआत उनके प्रारंभिक कविता ‘सात गीत वर्ष’ की पंक्ति ”मैं टूटा हुआ पहिया हूँ, फेको मत’ में देखी जा सकती है। मि‍थकों के प्रयोग और संयोजनकी दृष्टि से अंधायुग हिंदी की सर्वश्रेष्‍ठ रचना है। श्री ओझा ने अंधायुग तथा कनुप्रिया के कईं अंशों का प्रभावशाली पाठ किया।

बैठक में अपर महाप्रबंधक श्री रंजन यादव सहित सभी प्रधान विभागाध्‍यक्ष, मंडलों के अपर मंडल रेल प्रबंधक एवं अपर मुख्‍य राजभाषा अधिकारी, कारखानों के मुख्‍य कारखाना प्रबंधकों एवं अन्‍य सदस्‍य अधिकारियों ने आन लाइन भाग लिया। सभी अधिकारियों ने अपने-अपने कार्यालयों में हो रही राजभाषा प्रगति से महाप्रबंधक को अवगत कराया। बैठक का संचालन वरिष्‍ठ राजभाषा अधिकारी श्री चन्‍द्र भूषण पाण्‍डेय द्वारा किया गया।

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