गौ आधारित पंचगव्य और आयुर्वेद की मान्यता आज सब ओर हो रही है- वैद्य सुशील

नैनी / प्रयागराज ।  आयुर्वेद भारतीय परम्परा की चिकित्सा पद्धति है जिसकी पूरी पद्धति गाय आधारित उत्पादों पर निर्भर है। कोरोना के बाद से जिस तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पूरे विश्व के सामने आयी है उसमें पंचगव्य और आयुर्वेद एक महत्वपूर्ण पद्धति के रूप में पूरी दुनिया में मान्यता प्राप्त कर रहा है यह सभी भारतीयों के लिए गौरव का विषय है कि दुनिया भर में आयुर्वेद और पंचगव्य को लेकर नये-नये रिसर्च हो रहे हैं। बीएचयू में पंचगव्य आधारित चिकित्सा के लिए अलग से एक रिसर्च सेन्टर की स्थापना की गयी है जिसे विदेशों से संसाधन उपलब्ध कराया जा रहा है। उक्त बातें माधव ज्ञान केन्द्र, नैनी के सभागार में बोलते हुए बीएचयू के आयुर्वेद विभाग के वैद्य सुशील द्विवेदी ने कही माधव आश्रय गौ सेवा ट्रस्ट द्वारा आयोजित गौ आधारित वर्तमान चिकित्सा पद्धति विषयक संगोष्ठी में पूरी दुनिया भर में पंचगव्य पर हो रहे नवीनतम शोधों के विषय में जानकारी देते हुए बीएचयू के वैद्य रामानन्द जी ने बताया कि पंचगव्य के माध्यम से ऐसे रोगों का निदान किया जा रहा है जिनका ऐलोपैथ में कोई इलाज नहीं है ऐसे असाध्य रोगों में यह पद्धति चमत्कारिक रूप से कारगर साबित हो रही है और मरीजों को आराम मिल रहा है। कोरोना जैसे महामारी के दौरान पंचगव्य आधारित आयुर्वेदिक पद्धति से किये गये सफल इलाज का भी जिक बीएचयू से आये वैद्यों ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नैनी भाग संचालक दशरथ जी ने दोनों वैद्यों का स्वागत करते हुए भारतीय प्राचीन चिकित्सा पद्धति के लिए अनवरत कार्य करने वाले सभी वैद्यों को वर्तमान चुनौतियों से लडने वाला सुषेण वैद्य बताया जिन्होंने शत्रु और मित्र के भेद से रहित होकर मानवता के सेवा का संकल्प लिया है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से माधव ज्ञान केन्द्र के प्रधानाचार्य डा विध्यवासिनी, रामनाथ तिवारी के अलावा कक्षा 11 व 12 के छात्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन नैनी भाग गौ सेवा संयोजक पवन पाण्डेय ने किया।

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