एप्पल के को-फाउंडर स्टीब जॉब्स ने कहा था कि Have the courage to follow your heart and intuition, because they somehow already know what you truly want to become यानी आप अपने दिल और अंतरज्ञान को मानने की हिम्मत रखें। ये किसी न किसी तरह से पहले से ही जानते हैं कि आप वास्तव में क्या बनना चाहते हैं। एप्पल के सीईओ टिम कुक आज अपने बॉस, दोस्त और मार्गदर्शक स्टीब जॉब्स के बताए इसी रास्ते पर चल रहे हैं। इस लिए इस बात की संभावना बेहद कम है कि भारत छोड़ने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सलाह टिम कुक ट्रंप से लेंगे। कतर की राजधानी दोहा के बिजनेस समारोह में बोलते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने एप्पल के सीईओ टिम कुक को भारत में नया निवेश नहीं करने की सलाह दी थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोहा में एक व्यावसायिक कार्यक्रम में एप्पल के टिम कुक के बारे में मजाकिया टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें उनके साथ थोड़ी समस्या है। उन्होंने स्वीकार किया कि एप्पल ने 500 बिलियन डॉलर का भारी निवेश किया है। उन्होंने भारत में कंपनी की बढ़ती मौजूदगी पर चिंता जताई। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के उच्च टैरिफ के कारण अमेरिकी कंपनियों के लिए वहां बिक्री करना मुश्किल हो जाता है और उन्होंने मजाक में कहा कि वह चाहते हैं कि एप्पल विदेश की बजाय घर पर निर्माण पर अधिक ध्यान केंद्रित करे। अमेरिकी राष्ट्रपति की टिप्पणियों ने 2024 के अंत तक अमेरिका में बिकने वाले अपने अधिकांश आईफोन को भारत में बनाने की एप्पल की योजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आसान नहीं है एप्पल का भारत छोड़ना
ट्रंप चाहते हैं कि फोन को बनाने का काम भारत में नहीं बल्कि अमेरिका में हो। लेकिन ये इतना आसान नहीं है। भारत में आईफोन की फैक्ट्री में काम करने वाले एक व्यक्ति को औसतन 24650 रुपए प्रति माह वेतन मिनते हैं। जबकि अमेरिका में यही कास्ट बढ़कर कम से कम 2 लाख 46 हजार 500 रुपए प्रति माह हो जाएगी। यानी एक फोन को असेंबल करने का खर्चा तीस डॉलर से बढ़कर 300 डॉलर हो जाएगा। एप्पल एक हजार डॉलर के एक फोन पर 450 डॉलर कमाता है। लेकिन फोन बनाने का काम अगर अमेरिका शिफ्ट हो जाता है तो एप्पल की कमाई घटकर 150 डॉलर रह जाएगी। ऐसे में एप्पल कीमतें बढ़ा देगा।
एक अनुमान के मुताबिक मेड इन अमेरिका आईफोन को खरीदने के लिए अमेरिका के लोगों को एक हजार डॉलर के मुकाबले तीन हजार डॉलर खर्च करने होंगे। अगर ऐसा होता है तो एप्पल की कमाई काफी कम हो जाएगी। कोई भी कारोबार मुनाफे के लिए होता है। समाजसेवा या नुकसान के लिए नहीं। एप्पल के सीईओ टिम कुक इस बात को जानते हैं कि भारत और चीन में कम वेतन पर काम करने वाले लोगों की संख्या करोड़ों में है। अलग अलग रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में काम करने वाले लोगों की संख्या 78 करोड़ है। भारत में ये संख्या 59 करोड़ और अमेरिका में केवल 17 करोड़ है। एप्पल चीन पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है क्योंकि अभी उसका 80 प्रतिशत उत्पादन वहीं से होता है।