डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह नगर सिराथू में भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र की हैट्रिक के साथ पहली बार कमल जरूर खिल गया, लेकिन इसके बाद भी परिणाम सुखद नहीं रहा। ऐसा इसलिए कि उप मुख्यमंत्री के साथ जिलाध्यक्ष के भी वार्ड में भाजपा हार गई। हालांकि, नगर विजय की खुशी के आगे भाजपाइयों के लिए यह हार मायने नहीं रखती, मगर सियासी पंडित इसके बड़े मायने जरूर गिना रहे हैं।
सिराथू नगर पंचायत का गठन 1976 में हुआ। पहली बार यहां 1988 में चुनाव हुआ और निर्दल खालिक हसन जीते। वर्ष 1995 व 2000 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार मुन्नालाल ने लगातार जीत दर्ज की। 2006 में ममता गुप्ता विजई घोषित हुईं। वह भी निर्दलीय थीं। 2012 और वर्ष 2017 में राजेंद्र प्रसाद उर्फ भोला यादव ने बाजी मारी। इस हिसाब से देखें तो भाजपा कभी भी नहीं जीत सकी। अबकी चुनाव में भाजपा ने लगातार दो बार के चेयरमैन राजेंद्र प्रसाद उर्फ भोला यादव को ही प्रत्याशी बनाया था। जीत के साथ उन्होंने हैट्रिक लगा दी है। साथ ही सिराथू में मुरझाई हुई कमल की पंखुड़ियां भी खिल उठी हैं। अब बात वार्ड की करें तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का घर वार्ड नंबर नौ में है। यहां से सभासद पद के भाजपा प्रत्याशी विपिन यादव थे। निर्दलीय अंकित मिश्रा ने उन्हें पटखनी दे दी। जिलाध्यक्ष अनीता त्रिपाठी का आवास वार्ड नंबर 11 में है। उनके वार्ड में भाजपा प्रत्याशी मनीष अरोड़ा थे। निर्दल वीरेंद्र पटेल ने उनको चारों खाने चित कर दिया। भाजपाई नगर जीते हैं इसलिए, दिग्गजों का वार्ड हारने की उनमें उदासी नहीं है। उधर, राजनीति के जानकारों का कहना है कि बड़े नेताओं का वार्ड हारना आम बात नहीं है। भाजपा को इसपर मंथन करना चाहिए।