महाकुम्भ के पहले ही उत्तर प्रदेश जल निगम, नगरीय ने लगाया था जियो ट्यूब तकनीक आधारित ट्रीटमेंट प्लांट*
*- इस तकनीकि से ट्रीट हो रहे प्रयागराज के सभी 23 अनटैप्ड नाले, गंगा में गिर रहा स्वच्छ जल**
*महाकुम्भ नगर, 2 फरवरी :* महाकुम्भ को दिव्य-भव्य-स्वस्थ और स्वच्छ बनाने में प्रयागराज नगर निगम ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। इस दिशा में ही यूपी जल निगम, नगरीय ने प्रयागराज में जियो ट्यूब तकनीक आधारित ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है, जो शहर के सभी 23 अनटैप्ड नालों के अपशिष्ट जल का शोधन कर रहे हैं. तीर्थराज प्रयागराज में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना के महासमागम ‘महाकुम्भ 2025’ शुरू होने से पहले ही मुख्यमंत्री योगी ने निर्देश दिया था कि गंगा नदी में किसी भी नाले का पानी बिना ट्रीट किए नहीं डाला जाएगा। इसी का पालन करते हुए अस्थायी ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए, जिससे गंगा जी के जल को स्वच्छता के मानकों के अनुरूप निर्मल व अविरल बनाने में मदद मिल रही है। प्रतिदिन 100 से 130 एमएलडी पानी जियो ट्यूब तकनीक से ट्रीट करने के बाद गंगा जी में छोड़ा जा रहा है ।
*14 दिनों का ट्रायल रन कर किया गया प्लांट का संचालन*
उत्तर प्रदेश जल निगम, नगरीय ने शहर के सभी 23 अनटैप्ड नालों के ट्रीटमेंट के लिए जियो ट्यूब तकनीकी आधारित ट्रीटमेंट प्लांट, राजापुर में लगाया है। सहायक अभियंता प्रफुल्ल कुमार सिंह ने बताया कि यह ट्रीटमेंट प्लांट 14 दिनों के ट्रायल रन के बाद 01 जनवरी से अपनी पूरी क्षमता से कार्य कर रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में सात अलग- अलग साइटों शिवकुटी, एडीए, सलोरी, ससुरखेदरी, जोंडेलवाल, राजापुर और सदर बाजार से आ रहे नालों को बंधा बनाकर टैप किया जा रहा है। टैपिंग के बाद पम्प इंस्टॉल कर पॉलीमर और पीएसी दोनों केमिकल मिलाकर इन नालों के पानी को 25 मीटर के 7 अलग अलग जियो ट्यूब में भेजा जाता है। इन दोनों केमिकल की डोजिंग से पानी में मौजूद गंदगी जियो ट्यूब में जाकर धीरे- धीरे बैठने लगती है और ट्यूब के पोर्स से पानी बाहर निकलने लगता है। जियो ट्यूब में पानी जाने के बाद इसमें कंपन्न बना रहे, इसके लिए लेबर मैनुअली इसे डंडे से पीटते हैं। यहां से निकलने वाला पानी सीधे ड्रेन में स्टॉल कैविटेशन टैंक में जाता है, जहां इस पानी में हाइड्रोजन पैराऑक्साइड मिलाया जाता है ।
*पूरी प्रक्रिया की 24 घंटे की जाती है ऑनलाइन मॉनिटरिंग*
सहायक अभियंता प्रफुल्ल कुमार सिंह ने बताया कि पानी को और शुद्ध और डिसइन्फेक्ट बनाने के लिए ओजोनाइजेशन किया जाता है। यह वह प्रक्रिया है, जिसमें ओजोन गैस (O3) का उपयोग पानी को साफ करने के लिए किया जाता है । इस प्रक्रिया के लिए पानी टैंक से खुले तालाब में खुला छोड़ दिया जाता है, ताकि पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ सके। इसके बाद पानी से झाग अलग किया जाता है । यह आधुनिक तकनीक सीवेज वाटर का बीओडी लेवल 30% और 80% टीएसएस जियो ट्यूब्स में ही शुद्ध कर देती है। हाइड्रोजन पैरॉक्साइड और ओजोनाइजेशन से पानी को पूरी तरह शुद्ध कर नदियों में छोड़ दिया जाता है। इस प्लांट की खासियत है कि इसमें क्लोरीनाइजेशन की जगह ओजोनाइजेशन किया जाता है, ताकि जलीय जीवों को नुकसान न हो। 24 घंटे इस पूरी प्रक्रिया की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जाती है। महाकुंभ के दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं को स्वच्छ और निर्मल गंगा जल में स्नान का अनुभव देने के लिए यह व्यवस्था की गई है। 1 जनवरी से यह प्लांट पूरी क्षमता के साथ काम कर रहा है।
*जलीय जीवन के संरक्षण में भी मददगार जियो ट्यूब तकनीक*
इस प्रोजेक्ट के इंचार्ज मैकेनिकल इंजीनियर राजेंद्र सैनी ने बताया कि जियो ट्यूब तकनीकि सीवेज वाटर ट्रीटमेंट की आधुनिक तकनीक है । इस ट्रीटमेंट प्लांट में क्लोरीनाइजेशन की जगह ओजोनाइजेशन किया जाता है, क्योंकि ट्रीटेड पानी में अधिक मात्रा में घुला क्लोरीन जलीय जीवों के लिए नुकसानदेह होता है। ओजोनाइजेशन से सभी तरह के फीकल बैक्टीरिया मर जाते हैं, फिर इस ट्रीटेड वॉटर को नदियों में छोड़ा जाता है । सारे पैरामीटर्स को इसलिए ही पूरा किया जाता है ताकि किसी भी तरह का कोई नुकसान न हो।