तो कैसे मुस्कराएं कोरोना से डरे बच्चे

आर.केसिन्हा

 

कोरोना वायरस से सारी दुनिया डरीसहमी है और इस जहरीले संक्रमण को समाप्त करने की दिशा में सभी देश सक्रिय भी है। इस पर तो देरसबेर काबू तो पा ही लिया जाएगा। पर  इसने फिलहाल तो स्कूलकॉलेज जाने वाले बच्चों को बुरी तरह से झंकझोर कर रख दिया है। वे सहम से गए हैं। वे घर के भीतर कैद हैं। उनकी सामान्य दिनचर्या भी पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी है। उनके स्कूलकॉलेज बंद हैं। फिलहाल निकट भविष्य़ में इनके खुलने की कोई संभावना भी नजर नहीं आ रही है।

 दरअसल कोरोना वाय़रस से बचाव के लिए शिक्षण संस्थानों को बंद करने से पहले ही इस रोग को लेकर घर और बाहर की सारी चर्चाएं बच्चे भी सुन रहे थे। वे रोज इस तरह की खबरें सुन रहे थे कि महामारी का रूप ले चुका कोरोना वायरस की चपेट में हजारों लोग आ चुके हैं। इससे बाल मन परेशान हो गया है। यह स्थिति सारी दुनिया के बच्चों की ही है। यहां बात भारत तक सीमित नहीं है। आखिर कोरोना के जाल में तो सारा संसार आ चुका है। इसके संक्रमण के कारण हो रही मौतों ने जब उम्रदराज लोगों को हिलाकर रख दिया है तो बच्चों की मन स्थिति को समझना मुश्किल नहीं होना चाहिए। ये इसलिए भी घबराए हुए हैं क्योंकि वे बारबार सुन रहे हैं कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए अभी तक दवा या वैक्सीन बाजार में उपलब्ध नहीं है। इसके साथ ही घर का हरेक सदस्य इन बच्चों को विश्व स्वास्थ्य संगठन और तमाम दूसरे डाक्टरों की तरफ से मिल रही सलाहें भी दे रहा है। जैसा कि हाथ धोते रहो,  छींक और खांसी के मरीजों के संपर्क में आने से बचोंअपनी आंखनाकमुंह में उंगली डालने से परहेज करो  आदिआदि।

निश्चित रूप से इन सब कारणों के चलते बच्चों के चेहरे से मुस्कराहट गायब है। उनकी हंसी और मुस्कराहट को वापस तो लाना ही होगा। वे अपने मातापितादादादादी या परिवार के बाकी बड़े सदस्यों के चेहरे पर आ रही तनाव की लकीरों को देख रहे हैं। इससे वे भी सहमें हुए हैं। आखिर हर जगह तो कोरोना के कारण हो रही मौत की बातें ही चल रही हैं। यह क्रम निर्बाध गति से जारी है।

चूंकि अब बच्चे भी सोशल मीडिया से भी जुड़े हुए हैइसलिए वे फेसबुक, इंस्टाग्रामव्हाट्सएप आदि पर कोरोना से जुड़ी खबरेंफोटो और मैसेज और अफवाहों को भी देखपढ़ रहे हैं। यानी उन्हें कहीं से कोई राहत ही नहीं मिल रही। वहां भी सिर्फ नकारात्मक माहौल ही कायम है। कुल मिलाकर कोरोना ने बच्चों को डराया हुआ है। वे खौफ के साए में जी रहे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आखिर कोरोना से कब और कैसे पार पाई जा सकेगी? उन्हें इस सवाल का जवाब कहीं से नहीं मिल रहा है। वे क्या उनके बापदादा भी कभी इस स्थिति से गुजरे नहीं हैं। इस निराशाजनक हालातों में आग में घी डालने का काम वे सच्ची– झूठी  खबरें और तस्वीरें भी कर रहीं हैंजो  मुख्य रूप से चीन या इटली से आ रही हैं। इन देशों में कोरोना कहर बन कर टूट पड़ा है। इनमें हजारों लोग कोरोना के कारण मारे भी जा चुके हैं। इन सबको ये बच्चे सोशल मीडिया पर देख रहे हैं।  

इन डरेसहमे बच्चों को कैसे इस गंभीर मानसिक संकट से निकाला जाए ? यह करना परम आवश्यक है। इस दिशा का पहला चरण यह हो सकता है कि अपने बच्चों से कोरोना के संबंध में ज्यादा बात ही न की जाए। अभिभावक यह सुनिश्चित करें  कि बच्चों की मौजूदगी में कोरोना के विषय को छुआ भी ना जाए। अगर बात चालू हो भी तो बस उन्हें इतना ही कहा  जाए कि कोरोना से हम जीतने जा रहे हैं। इस संक्रमण की कभी भी दवा भी जल्दी खोज ली जाएगी। इससे बच्चों में  पॉजिटिव फीलिंग आएगा। उन्हें लगेगा कि कोरोना को मात दी  ही जाने वाली है। वे बेबसी की स्थिति से उबर सकेंगे। टी वी चैनलों पर बच्चों को रामायण” और  महाभारत दिखाइये। फिर वे उसी के बारे में बातें करेंगे । उन्हें लगेगा कि अब उनके  स्कूलकॉलेज खुलने ही वाले हैं। कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए वैसे भी विश्व स्तर पर प्रयास तो हो ही रहे हैं। उन्हें बताइये कि चिंता करने की कोई वजह नहीं है।

यदि वे कुछ पूछें भी तो उन्हें बताइये कि जनसँख्या घनत्व के हिसाब से भारत में प्रतिवर्ग किलोमीटर इसका प्रभाव अन्य देशों की बजाय नगण्य है । इसी बहाने उनका भूगोल का क्लास लीजिए । जब तक स्कूलोंकॉलेजों में अवकाश है तब तक बस घरों में रहकर पढिएलिखिए और मस्त रहिए। बच्चों के साथ लूडोशतरंज,लुकाछिपी खेलिये । आप इस बात को इस तरह से भी समझ सकते हैं कि जैसे आप बस में पीछे बैठे बैठे यदि रास्ते के हर मोड़अवरोधपत्थरटक्कर को देखते जाएंगे और प्रतिक्रिया देते जाएंगे तो आप तो चिंतित परेशान होंगे ही ड्राइवर को पूरी एकाग्रता से अपना काम नहीं करने देंगे। अगर आपको अपने बच्चे से कोरोना के मसले पर बात करनी ही पड़े तो उसे संक्षिप्त और हमेशा सकारात्मक रखिए। निश्चय ही यह सब करने से परिणाम बेहतर ही आएंगे। चूंकि इन दिनों घरों में मांबाप और बच्चे सब साथसाथ हैंइसलिए बेहतर होगा कि सब मिलबैठकर इत्मीनान से कैरेम या  अन्ताक्षरी खेलें। नईपुरानी फिल्में देखें। हो सके तो ज्यादा से ज्यादा कॉमेडी फिल्में देखें। इस समय भी सामाजिक दूरी बनाये रखें । उसके महत्त्व को समझायें । देखिए, आपका इससे एक तो टाइम मजेमजे में कट जाएगा और दूसरा यह कि बच्चे कोरोना के जाल से निकल कर कुछ और सकारात्मक सोच सकेंगे। इस तरह के अवसर बहुत कम आते हैं जब घर में सारा परिवार दिन– रात एक साथ  हो। मेरी बड़ी पोती को पढ़ने का शौक है । संगीत का शौक है । मैं उसे उसके लिये प्रोत्साहित करता हूँ । अच्छा गाना गाती है तो तारीफ करता हूँ । छोटी पोती और पोते को पेंटिंग का शौक है । मैं उनको उसके लिये प्रोत्साहित करता हूँ और वे दिनभर उसी में लगे रहते  हैं । इसलिए इस अवसर का लाभ उठाएं। वैसे भी आजकल की दौड़भरी जिंदगी में अपनों के साथ समय गुजारने के मौके तो कम ही मिलते हैं। बच्चों के समर वेकेशन के समय भी उनके मातापिता दफ्तरों में ही जा रहे होते हैं। तो कोरोना के बहाने हम सबको अपने परिवारों के साथ वक्त बिताने का बेहतरीन अवसर तो मिला ही हुआ है। तो इसका लाभ उठाइये।  मैं और मेरी पत्नी नवरात्रि में लगे हैं । सुबहशाम की आरती में बच्चे शामिल हो ही जाते हैं । बड़ा आनन्दमय वातावरण रहता है ।

फिलहाल तो बच्चे घरों से बाहर नहीं जा पा रहे हैं। वे अपने दोस्तोंसहेलियों से भी मिल नहीं पा रहे हैं। इस समय अभिभावकों को ही उनका दोस्त बन जाना चाहिए। उनसे खूब गपशप करनी चाहिए। ये सब करके हम अपने बच्चों को फिर से हंसता हुआ देखने लगेंगे।

 

(लेखक वरिष्ठ संपादक एवं स्तंभकार हैं )

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