छुटका सा नेपाल जिस ड्रैगन के दम पर उछल रहा है, उसी ड्रैगन ने उसे निगलना शुरू कर दिया है। चीन का नया शिकार नेपाल बन गया है। झांसा देकर चीन नेपाल का नक्शा ही बदलने में लग गया है। हिमालय की गोद में बसे खूबसूरत वादियां से सुसज्जित नेपाल पर ड्रैगन ने अपना प्रभाव जमाना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ समय से नेपाल चीन के बहकावे में ऊंचे-ऊंचे छलांगे मार रहा है और अपनी आदत की तरह ही चीन ने उसके साथ छल कर दिया है। चीन अपनी विस्तार बाद नीति से दुनिया के कई देशों पर अपना प्रभाव जमा रहा है। ग्लोबल वॉच एनालिसिस की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के साथ संबंध रखने के चलते नेपाल अपनी स्वायत्तता और फैसले लेने की क्षमता को प्रभावित कर रहा है।पिछले साल जनवरी के महीने में जब अमेरिका ने वेनेजुएला पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे, तो चीन ने इसकी निंदा की थी, उस वक्त नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी ने भी उसी तरह का बयान जारी किया था और अमेरिका और उनके दोस्तों को वेनेजुएला के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी देने के खिलाफ निंदा की थी। ऐसा पहली बार देखा गया जब कि नेपाल ने लैटिन अमेरिका में अमेरिकी नीतियों से संबंधित कोई बयान जारी किया हो। कहा जा रहा है कि नेपाल में मौजूद चीनी दूतावास वहां ड्रैगन के पक्ष में माहौल बनाने में मुख्य भूमिका अदा कर रहे हैं। नेपाल के भीतर नौकरी, पैसे समेत कई तरह के लालच के बल पर चीन के प्रति वफादारी निभाने वालों की एक तरह की फौज खड़ी की जा रही है। राजन भट्टाराई को नेपाल-भारत के संबंधों पर एक रिसर्च पेपर लिखने के लिए 15 लाख नेपाली रूपयों का कॉन्ट्रैक्ट चीनी दूतावास की तरफ से दिया। बता दें कि राजन भट्टाराई नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के विदेशी मामलों में सलाहकार हैं।
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