प्रयागराज के ऐतिहासिक पौराणिक महत्व को जाना पुलिस कर्मियों ने

प्रयागराज।
प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दिव्य, भव्य और सुरक्षित आयोजन के लिए मेला पुलिस लाइंस में पुलिसकर्मियों को संकल्प प्रशिक्षण पंडाल में प्रतिदिन प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसी क्रम में मंगलवार को प्रयागराज विद्वद परिषद के समन्वयक वीरेंद्र पाठक ने पुलिसकर्मियों को प्रयागराज की पौराणिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्ता के बारे में जानकारी दी।
वीरेंद्र पाठक ने अपने संबोधन में बताया कि प्रयागराज का प्राचीन नाम ‘तीर्थराज’ था। यह शहर ऋषि-मुनियों और महात्माओं की तपोभूमि रहा है। यहीं पर महर्षि भरद्वाज का प्रसिद्ध आश्रम स्थित था। उन्होंने कहा कि महर्षि भारद्वाज ने लगभग 7,500 वर्ष पहले पुष्पक विमान का वर्णन किया था, जिसका उल्लेख विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
वीरेंद्र पाठक ने कुंभ और महाकुंभ के आयोजन की परंपरा, महत्व और इससे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और सभ्यता का अद्वितीय उत्सव भी है।
प्रशिक्षण के दौरान, पुलिसकर्मियों ने कुंभ मेले के आयोजन और प्रयागराज से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर सवाल पूछे। वीरेंद्र पाठक ने इन सवालों के उत्तर देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया।
महाकुंभ 2025 की तैयारियों के तहत चल रहे इस प्रशिक्षण का उद्देश्य पुलिसकर्मियों को कुंभ मेले के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के प्रति जागरूक करना है, ताकि वे अपनी ड्यूटी बेहतर तरीके से निभा सकें। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे पुलिसकर्मियों ने इसे अत्यंत उपयोगी और ज्ञानवर्धक बताया।
महाकुंभ एसएसपी राजेश द्विवेदी ने बताया कि यहां आने वाले समस्त पुलिसकर्मियों को व्यवस्था के साथ ही महाकुंभ की महत्ता प्रयागराज  के बारे में विशेषज्ञों से जानकारी प्रदान की जा रही है।

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