प्रयागराज।
प्रसार निदेशालय, शुआट्स, प्रयागराज जनपद भागलपुर, बिहार राज्य के चयनित 48 कृषकों का आत्मा योजनान्तर्गत पांच दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन सोमवार को प्रसार निदेशालय में सम्पन्न हुआ।
निदेशक प्रसार डा0 प्रवीन चरन ने कहा कि श्रीअन्न की फसलों में कम सिंचाई और बिना उर्वरक के प्रयोग के भी उत्पादित किया जा सकता है । यह फसलें ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन एवं खनिज तत्वों के अच्छे स्रोत हैं।
मुख्य अतिथि निदेशक विकास डा0 रितु प्रकाश दुबे ने श्रीअन्न को खाद्य सुरक्षा के लिए एक स्थायी विकल्प के रूप में पेश करते हुए कहा कि भारतवर्ष की भौगोलिक दशायें विभिन्न प्रकार की हैं जहॉं पर तापमान, वर्षा, मिट्टी के प्रकार, फसल इत्यादि में काफी विभिन्नता पायी जाती है। लोगों को उत्तम स्वास्थ्य एवं बेहतर जीवनशैली के लिए रागी, सॉंवा, चीना, कोंदों एवं कुटकी के बने खाद्य पदार्थों को भी अपने दैनिक भोजन में अवश्य शामिल करना चाहिए ।
संयुक्त निदेशक प्रसार डा0 ए. के. चौरसिया ने खाद्यान्न फसलों के बीज उत्पादन के तकनीकी जानकारी प्रदान दी। वैज्ञानिक डा0 शिशिर कुमार ने कुटकी, सॉंवा, कोंदो, चीना, रागी के वैज्ञानिक उत्पादन विधियों का उल्लेख किया। आत्मा, भागलपुर के उप परियोजना निदेशक श्री प्रभात कुमार सिंह ने निदेशक प्रसार एवं विश्वविद्यालय के समस्त वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त किया। प्रशिक्षण समन्वयक डा0 मनीष कुमार केसरवानी ने प्रसंस्कृत उत्पादों की तकनीकी जानकारी प्रदान की ।
मुख्य अतिथि निदेशक विकास डा0 रीतू प्रकाश दूबे एवं निदेशक प्रसार ने प्रतिभागी कृषकों को प्रमाण-पत्र एवं प्रशिक्षण साहित्य का वितरण किया। इस अवसर पर डा0 शैलेन्द्र कुमार सिंह, डा0 सरवेन्द्र कुमार, डा0 मदन सेन सिंह, श्रीमती मीना नेथन
आदि वैज्ञानिक उपस्थित थे।