भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने ईरान में अपने समकक्ष से बातचीत की है। इस बातचीत में न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के गंभीर मसलों पर बातें की गई हैं। इसके अलावा चाबहार बंदरगाह परियोजना और उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे यानी आईएनएसटीसी पर भी भरपूर चर्चा हुई। भारत ईरान की इस बातचीत को लेकर पाकिस्तान में बैचैनी जरूर होगी। ये बातचीत ऐसे वक्त में हुई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। दूसरी ओर भारत और ईरान अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत कर रहे हैं। ये बातचीत इस बात का प्रमाण हैं कि भारत और ईरान अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
खासकर चाबहार बंदरगाह परियोजना जिसे भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं। जो विशेष तौर पर इस क्षेत्र की आर्थिक और व्यवहारिक स्थिति को नई ऊंचाईयों पर ले जाने का सामर्थ्य रखती है। चाबहार पोर्ट को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के एक अहम सेंटर की पेश किया गया है। यह प्रॉजेक्ट भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, सेंट्रल एशिया और यूरोप के बीच माल-ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबा प्रोजेक्ट है। टेलीफोन पर हुई बातचीत में अजित डोभाल ने ये उल्लेख किया कि भारत और पाकिस्तान के साथ जारी सैन्य संघर्ष का प्रभाव क्षेत्रीय सुरक्षा पर पड़ रहा है। पाकिस्तान से तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद भारत का फोकस इस वार्ता में सकारात्मक सहयोग और क्षेत्रीय शांति की ओर है। डोभाल ने ये सुनिश्चित किया कि भारत ईरान के साथ मिलकर चाबहार बंदरगाह और आईएनएसटीसी परियोजनाओं को तेज गति से आगे बढ़ाएगा।
बातचीत के दौरान डोभाल ने ईरान की क्षेत्रीय स्थिरता में निभाई जा रही सकारात्मक भूमिका को सराहा और भारत-ईरान द्विपक्षीय सहयोग को और विस्तार देने की इच्छा जाहिर की। बातचीत में खासतौर से चाबहार बंदरगाह और इंटरनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर जैसे अहम प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। ईरान की ओर से डॉ. अहमदियान ने कहा कि दोनों देश गहरे आर्थिक और आर्थिक संबंधों से जुड़े हैं। यह सहयोग व्यापक क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के पक्ष में ही है। उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने और रणनीतिक परियोजनाओं को तेजी से लागू करने की जरूरत पर जोर दिया।
बंदरगाह को इंटरनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के साथ जोड़े जाने के बाद भारत की कनेक्टिविटी ईरान के जरिए सीधे रूस तक होगी। इससे पाकिस्तान को बायपास कर अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक पहुंच बन जाएगी। ‘इंटरनैशनल नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर में रूस की अहम भूमिका है। इससे एक ओर आर्मेनिया और अजरबैजान जैसे देश कनेक्ट होंगे तो दूसरी ओर अफगानिस्तान और ईरान। इसके अलावा ईरान भी एक रेल लाइन लेकर आने वाला है, जो चाबहार से शुरू होकर अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बॉर्डर तक जाएगी। इससे ईरान को भी भारत के जरिए साउथ एशिया में कनेक्टिविटी हासिल होगी।