सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय में चल रहे ग्रामीण कृषि मौसम सेवान्तर्गत भारत सरकार से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार वैज्ञानिकों ने कृषकों को सलाह दी है कि उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करें। यदि परीक्षण की सुविधा उपलब्ध न हो तो बोआई से पूर्व प्रति हेक्टयर 60-75 किग्रा नाइट्रोजन, 80 किग्रा फास्फेट व किग्रा पोटाश का प्रयोग करें। शरदकालीन गन्ने में बोआई के 110-120 दिन बाद नाइट्रोजन की शेष आधी मात्रा की टाप ड्रेसिंग कर दें। गन्ना का बीज जिस खेत से लेना हो, बोआई से दो सप्ताह पूर्व उसकी सिंचाई कर दें। राई के माहू कीट की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टयर मिथाइल-ओ-डिमेटान 25 ई0सी0 1.00 लीटर या मैलाथीयान 50 ई0सी0 1.50 लीटर का प्रयोग करना चाहिए। मक्का प्रति हेक्टयर बोआई के लिए संकर प्रजातियों के लिए 20 किग्रा व संकुल प्रजातियों के लिए 22-25 किग्रा बीज की आवश्यकता होगी। जई में पहली कटाई, बोआई के 55 दिन बाद करें और कटाई के बाद सिंचाई करके प्रति हैक्टयर 20 किग्रा नाइट्रोजन की दूसरी टाप ड्रेसिंग कर दें।लोबिया की बोआई के लिए इस समय पूसा दो फसली, लोबिया 263 व पूसा फागुनी उपयुक्त किस्में हैं। लौकी की बोआई 3-4गण्75 मीटर पर कर सकते हैं, जिसके लिए प्रति हेक्टयर 4-5 किग्रा बीज आवश्यक होता है। मुर्गियों को अतिरिक्त ऊर्जा हेतु दाना दंे।
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