वन विभाग में सम्पन्न हुआ मानव- वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन कार्यशाला

मीरजापुर। वन प्रभाग मीरजापुर एवं विंध्य पारिस्थितिकी एवं प्राकृतिक इतिहास संस्थान द्वारा वन विभाग कार्यालय के मौलश्री सभागार में मानव- वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन कार्यशाला सम्पन्न हुआ। इस मौके पर भालू, तेंदुआ, बाघ आदि जंगली वन्यजीव और मानव संघर्ष पर चर्चा की गई। देबादित्यो सिन्हा ने बताया कि तेंदुआ और बाघ इंसानों से वैसे ही बहुत डरते हैं, अगर अपने आप ही जंगल में चले जाते है। ज़्यादातर वन्यजीव-मानव संघर्ष तब होता है जब लोग अज्ञानता के चलते उस जानवर को पकड़ने या मारने के लिए डंडा और पत्थर मारते है या घेरने की कोशिश करते हैं। इस बात पर भी जोर दिया गया कि जंगलों में फलदार वृक्षों एवं जल स्रोतों की रक्षा करने से वन्यजीव जंगल से बाहर नहीं निकलेंगे। भालू के बारे में कहा गया कि वह चीटी, दीमक  बेर खाता है। हमले आकस्मिक आमना सामना से ही होते है। आम जनों को जंगल में अकेले ना घूमने के प्रति जागरूक करने, जंगली जानवरों के पारिस्थितिकी पर ज्ञानवर्धन करने की ज़रूरत पर विचार विमर्श किया गया।
प्रभागीय वनाधिकारी राकेश चौधरी ने इस कार्यशाला को उपयोगी बताते हुए कहा कि मिर्ज़ापुर में सभी रेंज अफसर बहुत सचेतता के साथ वन्यजीवों के सुरक्षा में लगे है। उन्होंने वन रक्षक के टीम को सराहा और कहा कि कई मानव-वन्यजीव संघर्षों को दुर्घटनाओं को उनके विभाग के लोगों ने दुर्घटना में तब्दील होने से बचाया है एवं जंगली जानवरों को सुरक्षित अपने पर्यावास में छोड़ा गया। उन्होंने ग्रामीणों से निवेदन किया है कि वह किसी भी जंगली जानवर के गांव में दिखने पर वन विभाग को सूचित करें। इस मौके पर प्रभागीय वन अधिकारी राकेश चौधरी, उप प्रभागीय अधिकारी पंकज शुक्ला, सहायक वन संरक्षक वीके सिंह, रेंज अधिकारी लालगंज पीके सिंह, रेंज अधिकारी मड़िहान पीके मिश्र, रेंज अधिकारी चुनार एसपी ओझा, रेंज अफसर मीरजापुर अजय सिंह आदि अपने सपोर्ट स्टाफ के साथ मौजूद रहे। विंध्य पारिस्थितिकी एवं प्राकृतिक इतिहास संस्थान की तरफ से देबादित्यो सिन्हा, शिव कुमार उपाध्याय एवं सुधांशु कुमार उपस्थित रहे।

Related posts

Leave a Comment