नैनी, प्रयागराज। सैम हिग्गिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) में चल रहे ग्रामीण कृषि मौसम सेवान्तर्गत भारत सरकार से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार वैज्ञानिकों ने 19 जून से वर्षा के आसार जताते हुए कृषकों को सलाह दी है कि 20-25 दिन वाली पौध की रोपाई 2-3 पौधा प्रति हिल 3-4 सेमी. की गहराई तक करें। ऊसर क्षेत्रों हेतु धान की मध्यम अवधि की किस्मों सी.एस.आर.-10, सी.एस.आर.-43, सी.एस.आर.-13, नरेन्द्र ऊसर धान-2009, सी.एस.आर.-60 की नर्सरी डालें। शरदकालीन बावग गन्ने में व्यांत की अवस्था पूर्ण हो चुकी है, अतः गन्ने को गिरने से बचाने एवं अवांछित कल्लों को निकलने से रोकने हेतु गन्ने की जड़ों पर मिट्टी अवश्य चढ़ा दें। कद्दूवर्गीय फसलों में यदि हरा फुदका एवं सफेद मक्खी कीट के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 30.5 प्रतिशत एस.सी. 1.0 मि.ली. रसायन एवं तना व फलछेदक कीट के नियंत्रण हेतु फ्लुबेन्डीमाइड 39.35 एस.सी. की 01 मि.ली. मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें तथा फल मक्खी से बचाने हेतु क्यू ल्योर फेरोमोन ट्रैप 8 से 10 ट्रैप प्रति हे. की दर से लगायें। बैंगन की फसल को तना और फलबेधक कीट से बचाव के लिये क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल रसायन की 1.0 मिली. आम में बागों में निश्चित समय अंतराल पर सिंचाई कर नमी बनाये रखें। पुशुओं को धूप से बचने के लिये दोपहर में छायादार स्थान पर बांधे तथा सुबह एवं सायंकाल में ही चराई करायें। पशुओं को हरा चारा अवश्य खिलायें, पशुओ को मुरझाया हुआ हरा चारा (विशेष रूप से ज्वार) न खिलायें क्योंकि इसमें एच.सी.एन. तत्व (जहरीली तत्व) की अधिकता से पशु बीमार हो सकते हैं। मत्स्य बीज उत्पादक अपने ब्रूड फिश को पूरक आहार शरीर भार के दो प्रतिशत की दर से प्रतिदिन खिलायें साथ ही साथ विटामिन ई युक्त आहार भी दें।
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