आठ महीनों से यूक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण न सिर्फ रूस, बल्कि अमेरिका के हथियारों का जखीरा भी खाली हो रहा है। इस कारण यूक्रेन को हथियारों की मदद देने का अपना वादा निभाने में अमेरिका को मुश्किल पेश आ रही है। इसका असर यूक्रेन की युद्ध क्षमता पर पड़ सकता है। ये बात खुद अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भी मंजूर कर चुके हैं।
ऑस्टिन ने 12 अक्तूबर को ब्रसेल्स में दुनिया भर की लगभग 50 हथियार निर्माता कंपनियों के अधिकारियों से बातचीत के बाद पत्रकारों से कहा था- ‘हमने अपने उद्योगों पर हथियारों का उत्पादन बढ़ाने के लिए दबाव बनाया है, ताकि यूक्रेन की रक्षा के साथ-साथ हम अपनी सुरक्षा जरूरतों को भी पूरा कर सकें।’ ऑस्टिन के इस बयान के बाद से पश्चिमी देशों के अस्त्र भंडार को लेकर मीडिया में चर्चा जारी रही है। टीकाकारों के मुताबिक ऑस्टिन का बयान इस बात का संकेत है कि अगर हथियार निर्माता कंपनियों ने अपना उत्पादन तेजी से नहीं बढ़ाया, तो पश्चिमी देशों के पास हथियारों की कमी हो सकती है।
यूक्रेन में इस वर्ष 24 फरवरी को रूस ने अपनी विशेष सैनिक कार्रवाई शुरू की थी। उसके बाद से अमेरिका यूक्रेन को 17.6 बिलियन डॉलर के सुरक्षा उपकरण देने का वादा कर चुका है। इनमें कुछ उपकरणों की सप्लाई अगले कई वर्षों के दौरान होगी। विश्लेषकों ने कहा है कि यह एक तरफ इस बात का संकेत है कि अमेरिका लंबे समय तक यूक्रेन की सुरक्षा के लिए वचनबद्ध है, लेकिन इससे अमेरिका की हथियार सप्लाई करने की सीमित क्षमता का भी संकेत मिलता है।
अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के वरिष्ठ सलाहकार मार्क कैनसियन ने कहा है- ‘प्रशिक्षण में इस्तेमाल होने वाले कुछ अमेरिकी हथियारों की संख्या न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। इससे यहां इस प्रश्न को लेकर चिंता है कि अगर कोई दूसरा युद्ध भी भड़क उठा, तो क्या होगा।’ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हथियारों की उपलब्धता में कमी के कारण ही अमेरिका ने यूक्रेन से जितना वादा किया है, उसके एक तिहाई के बराबर ही टैंक भेदी जैवेलिन मिसाइलों की आपूर्ति वह अभी तक कर पाया है।
कैनसियन ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम को बताया कि अमेरिका ने अपने वादे की तुलना में आधे होवित्जर आर्टिलरी सिस्टम ही यूक्रेन को दिए हैं। ऐसा संभवतः इसलिए हुआ है, क्योंकि अगर इससे अधिक सप्लाई की गई, तो उससे अमेरिका की अपनी युद्ध क्षमता प्रभावित होगी। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने इसी वेबसाइट को बताया कि हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (हिमार्स) की भी अब अमेरिका में कमी महसूस की जा रही है। अमेरिका ने 40 हिमार्स यूक्रेन को देने का वादा किया है, लेकिन अभी लगभग 20 सिस्टम ही उसे दिए जा सके हैं। बाकी की आपूर्ति में वर्षों लग सकते हैं।
जानकारों के मुताबिक अमेरिका में हथियारों की कमी इसलिए हुई है, क्योंकि शीत युद्ध के बाद उसने हथियार उत्पादन का बजट घटा दिया था। 1960 के दशक में अमेरिका अपने सकल घरेलू उत्पाद का 9 फीसदी सेना पर खर्च करता था। 1990 में ये रकम 5 फीसदी और 2020 में तीन फीसदी रह गई।