प्रयागराज। साहित्यकार महाश्वेता सिंह राजे ने शुक्रवार को कहां होली भारत का एक प्रमुख एवं प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज पूरे विश्व में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।हिंदू पंचांग के अनुसार होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, यह एक रंगो का उत्सव है ,होली की पूर्व संध्या में होलिका दहन किया जाता है इसके पीछे एक प्राचीन कथा है -असुर हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से घोर शत्रुता रखता था, वह अपने आप को भगवान समझता था ,अपने राज्य में घोषणा कर दी कि राज्य में केवल उसी की पूजा की जाएगी ,हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, पिता के लाख मना करने के बावजूद प्रह्लाद विष्णु जी की भक्ति करता रहा, इस बात पर हिरण्यकश्यप बहुत क्रुध्द हुआ, वह अपने पुत्र को मारने का प्रयास करता रहा ,उसकी बहन होलिका को शिव से ऐसी चादर वरदान स्वरूप में मिली थी, उसे डाल होलिका अग्नि में बैठ जाए तो वह जलेगी नहीं, वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई ,प्रभु कृपा से चा दर उड़कर प्रह्लाद पर पड़ गई ,प्रहलाद को ढक लिया होलिका जल कर भस्म हो गई ,इस तरह बुराई पर अच्छाई की जीत हो गई, तभी से होलिका दहन होता है ,हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए प्रभु विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया और उसका वध किया , अपने भक्त प्रहलाद को दर्शन दिया, इसी खुशी में हम होली का त्यौहार मनाते हैं, इसी दिन प्रथम मानव मनु का जन्म हुआ और रति के पति कामदेव का भी पुनर्जन्म इसी दिन हुआ था, इस ख़ुशी में भी रंगों का उत्सव मनाया जाता है , ब्रज की होली विश्व की प्रसिद्ध होली है , मथुरा में ये रंगोत्सव 40 दिनों तक मनाया जाता है ,जिसकी शुरुआत वसंत ऋतु के प्रवेश से ही हो जाती है, इसके बाद पंचमी दिन इसका समापन होता है ,इन्हीं कथाओं को हमने पंक्तिं बद्ध किया है ,भूल -चूक के लिए क्षमाप्रार्थी है ,आपके आशीर्वाद व प्रेमप्रार्थी है.
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