राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने शुक्रवार को शिवसेना नीत महाराष्ट्र सरकार का बचाव करते हुए कहा कि अभिनेत्री कंगना रनौत के कार्यालय में कथित अवैध हिस्से को ढहाए जाने से उसका कोई लेना-देना नहीं है और यह फैसला बीएमसी ने लिया था। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा और नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने से संबंधित महाराष्ट्र के 2018 के कानून पर इस सप्ताह की शुरुआत में उच्चतम न्यायलय द्वारा रोक लगाए जाने के बाद इस संबंध में अध्यादेश लाना एक विकल्प हो सकता है। पवार ने कहा कि ऐसा करने से इस फैसले से नाराज समुदाय के लोगों को प्रदर्शन करने से रोकने में मदद मिल सकती है। महाराष्ट्र की शिवसेना नीत महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस भी शामिल हैं। महाराष्ट्र सरकार इस सप्ताह की शुरुआत में मुंबई के बांद्रा इलाके में रनौत के कार्यालय के एक हिस्से को बृह्नमुंबई नगरपालिका (बीएमसी) द्वारा ढहाए जाने को लेकर आलोचना का सामना कर रही है।कंगना और शिवसेना के बीच पिछले कुछ दिनों से जुबानी जंग चल रही है। बीएमसी पर शिवसेना का शासन है। रनौत ने हाल ही में मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से करके विवाद खड़ा कर दिया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि उन्हें मूवी माफिया से अधिक मुंबई पुलिस से डर लगता है। पवार ने यहां पत्रकारों से कहा, वह फैसला (रनौत के कार्यालय के कथित अवैध हिस्से को तोड़ना) बीएमसी ने लिया था और इसका राज्य सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। इससे पहले पवार ने कहा था कि अभिनेत्री के बयानों को बेवजह तवज्जो दी जा रही है।
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