अयोध्‍या में अगले माह शुरू होगा राममंदिर निर्माण, सरयू के भूमिगत प्रवाह को देखकर बन रही योजना

रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण शुरू करने की तैयारी प्रशस्त होती जा रही है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने अगले माह मंदिर निर्माण शुरू होने का विश्वास व्यक्त किया है। वे कारसेवकपुरम में संतों के साथ बैठक के बाद मीडिया से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने बताया कि जहां रामलला का गर्भगृह है, उसके पश्चिम में भूमि की सतह के नीचे अब भी सरयू का प्रवाह है। ऐसे में मंदिर की नींव तैयार करने के साथ बड़े-बड़े बांध बनाये जाने की तर्ज पर मंदिर के ठीक पश्चिम और सरयू के भूमिगत प्रवाह के बीच रिटेनि‍ंग वाल बनायी जायेगी। सतह के 17 मीटर नीचे से बनने वाली यह रिटेनि‍ंगवाल भविष्य में सरयू का भूमिगत प्रवाह मंदिर की ओर उन्मुख होने की आशंका को ध्यान में रखकर निर्मित की जाएगी।

ट्रस्ट के महासचिव ने उस अध्ययन का भी हवाला दिया, जिसमें यह ज्ञात हुआ है कि मंदिर की सतह के नीचे ओरिजनल स्वायल नहीं है। 17 मीटर तक भराव है और उसके नीचे भुरभुरी बालू है। ऐसी सतह पर टिकाऊ नींव का निर्माण किस तरह किया जाय, इस संदर्भ में आईआईटी चेन्नई, मुंबई, दिल्ली और गुवाहाटी सहित सेंट्रल बिल्डि‍ंंग रिसर्च इंस्टीट्यूट – रुड़की, टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स, एलएंडटी के विशेषज्ञों के अलावा तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से नियुक्त प्रोजेक्ट मैनेजर ने व्यापक विमर्श के बाद रिटेन‍िंगवाल और नींव की कार्ययोजना तैयार की है। इन सभी ने मिलकर ट्रस्ट को सुझाव दिये हैं। चंपतराय ने बताया कि अगले आठ दिनों में इन सुझावों पर अंतिम रूप से विचार कर लिया जाएगा और इसी के अनुरूप मंदिर का निर्माण शुरू होगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया कि मंदिर की नींव कंक्रीट की बजाय पत्थर की ही बनेगी। राम मंदिर के लिए सहयोग राशि एकत्रित करने के लिए विहिप कार्यकर्ता राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री तक से भेंट करेंगे। 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के अवसर पर दिल्ली के कार्यकर्ता राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के सम्मुख समर्पण राशि के लिए पहुंचेंगे, वहीं इसी दिन लखनऊ के कार्यकर्ता राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री से समर्पण राशि के लिए भेंट करेंगे। चंपतराय ने बताया कि समर्पण राशि के लिए 100 सौ एवं एक हजार रुपये के कूपन के अलावा रसीद भी छपवायी गयी है और सहयोग संकलन के साथ देश के 12 करोड़ परिवारों तक राम मंदिर का चित्र भी पहुंचाया जाएगा। उन्होंने मंदिर के लिए सहयोग राशि को दान कहने पर आपत्ति जतायी। कहा, दान तो मांगा जाता है। जबकि मंदिर के लिए लोग स्वेच्छा से समर्पण करेंगे। उन्होंने संतों के साथ बैठक कर इस अभियान को गति देने की रूपरेखा भी तय की। बैठक में रंगमहल के महंत रामशरणदास, संत समिति के अध्यक्ष कन्हैयादास, रामशरणदास रामायणी, नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास, हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत रामकुमारदास आदि सहित तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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