प्रयागराज। के सर्वेश्वरी धाम दुर्गा ढोकरी मुखिया हाउस में चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन धर्म और धरती के बीच संवाद सुनकर श्रोता भावविभोर हो उठे। सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कराते हुए कथा व्यास शिवेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि द्वापर के अंत और कलयुग का प्रारंभ प्रकृति के संतुलन को स्पष्ट करती है। पांडवों के पर पौत्र राजा परीक्षित के राज्य में धर्म और धरती के बीच का संवाद ही कलयुग के वास का निर्धारण करता है। व्यास जी महाराज ने बताया कि राजा परीक्षित के राज्य में एक बैल जिसके तीन पैर कटे हुए थे। बैल को देखकर गौ माता रो रही थी। तभी राजा परीक्षित वहाँ पहुँचे। परीक्षित ने बैल की दुर्दशा का कारण पूछा। और गाय के रोने की वजह भी जानी। उसी समय कलयुग वहाँ पहुंचा। कलयुग ने बैल का चौथा पैर काटना चाहा। जिसे राजा परीक्षित ने रोक दिया। कलयुग से संहार करने की वजह पूछी। तब बैल ने कहा कि मैं धर्म हूँ और गाय मां धरती है। यह कलयुग हम सभी को मारना चाहता है। कलयुग ने कहा श्री कृष्ण के द्वापर अंत के बाद मैं कहाँ जाऊं। तब राजा परीक्षित ने पांच स्थान दिए। कहा मधपान, जुआ,वेश्यावृत्ति, हिंसा और पापरूपी स्वर्ण में आपका वास होगा। श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। कथा के मुख्य यजमान श्री धर मिश्र, मुरलीधर मिश्र, शेषधर मिश्र, लीलाधर मिश्र ने सम्पूर्ण कर्मकांड सम्पन्न कराए। जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण की आरती उतारी गई। भक्तो के प्रसाद वितरित किया गया। हर्ष देव मिश्रा धीर मन मिश्रा सतीश चंद्र प्रकाश चंद वेंकटेश देवेश संजय पवन गोपेश शशीकांत रविकांत सचिन ललित उज्जवल विनीत यस कार्तिकेय प्रणव रुद्रा आयुष राज अनमोल त्रिपाठी अछत सर्वेश राजेश आदि महिला पुरुष उपस्थित रहे।
Related posts
-
पर्वतराज हिमाचल ने पार्वती का हाथ पकड़कर शिवजी को समर्पित कर दिया
देवी पार्वती को अपनी गोद में लेकर मैना हृदय को चीर देने वाला विलाप किए जा... -
इस दिशा में भूलकर भी नहीं रखना चाहिए पूजा का सामान
वास्तु शास्त्र में पूजा-पाठ से संबंधित तमाम चीजों का वर्णन मिलता है। वास्तु में पूजा का... -
Astrology Tips: मंत्रों के जप से दूर होते हैं ग्रहों के दोष
जीवन की इस आपाधापी में हर आदमी दो पैसे कमाने और बचाने के लिए दिन-रात जुटा...