नैनी, प्रयागराज। सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) में चल रहे ग्रामीण कृषि मौसम सेवान्तर्गत भारत सरकार से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि गेहूँ में प्रति हेक्टयर 60 किग्रा नाइट्रोजन , 60 किग्रा फास्फेट व 40 किग्रा पोटाश बोवाई के समय प्रयोग करें । यदि खरीफ में खेत परती रहा हो या दलहनी फसल ली गयी हो , तो 60 किग्रा की जगह कुल 50 किग्रा नाइट्रोजन डालना होगा । हाँ , अगर हरी खाद का प्रयोग किया गया है तो केवल 40 किग्रा नाइट्रोजन पर्याप्त होगा । बरसीम की बुवाई के 45 दिनों बाद पहली कटाई करें । लाही की फसल में पत्तियों को खाने वाली आरा मक्खी और बालदार गिडार का नियंत्रण समय से करें । मसूर की बुवाई 20-25 सेंमी की दूरी पर कतारों में करें । मटर की बुवाई के 40-45 दिन बाद पहली सिंचाई करें । फिर 6-7 दिन बाद ओट आने पर हल्की गुड़ाई भी कर दें । टमाटर की बसन्त / ग्रीश्म ऋतु की फसल के लिए पौधषाला में बीज की बुवाई कर दें । आंवला में शूट गाल मेकर कीट से ग्रस्त टहनी को काटकर जला दें एवं पेड़ों पर डाईमेथोएट 2 मिली एवं मैकोंजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें । पिछले माह बोये गये लहसुन की निराई – गुड़ाई तथा सिंचाई करें एवं बुवाई के 40 दिन 74 किग्रा . यूरिया की प्रथम टाप ड्रेसिंग कर दें । ग्लेडियोलस में स्थानीय मौसम के अनुसार सप्ताह में एक या दो बाद सिंचाई करें ।
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