संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान की सुरक्षा के लिए तालिबान सरकार को करीब 60 लाख डालर ([करीब 45.33 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव कर रहा है। वह तालिबान सरकार के गृह मंत्रालय के उसी प्रमुख के मार्फत यह सहायता राशि देगा जिस पर संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है। एफबीआइ के लिए भी वह वांछित है। तालिबान के प्रमुख नेताओं में से एक और गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी पर प्रतिबंध लगे हुए हैं। इन पर पिछले बीस सालों में कई हमले करने का आरोप है।
संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेजों के अनुसार प्रस्तावित फंड को अगले साल मासिक खर्चो के तौर पर तालिबान लड़ाकों को सौंपा जाएगा। चूंकि यही लड़ाके अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिष्ठानों की भी रक्षा कर रहे हैं। इस रकम से मासिक खाद्य भत्ते दिए जाएंगे। यह भत्ते पूर्ववर्ती अफगान सरकार और संयुक्त राष्ट्र के बीच हुए समझौते के तहत जारी किए जाएंगे।
सूत्रों का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता फरहान हक ने कहा कि उनके अफसर विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं और बहुत असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कई विशेषज्ञों ने प्रस्तावित सहायता पर सवाल उठाते हुए कहा कि तालिबान और उनके नेताओं की मदद करके संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका उन पर लगाए प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रहे हैं।
इस बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान में हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं। अगर अमेरिका काबुल की संपत्ति रिलीज कर दे और उसकी बैंकिंग प्रणाली का नकदीकरण कर दे तो हालात सुधर जाएंगे। ध्यान रहे कि विदेश में अफगानिस्तान की करीब नौ अरब डालर से अधिक की संपत्ति जब्त है।
इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान की आर्थिक परेशानी मानव रचित है। उल्लेखनीय है कि इसी साल अमेरिकी सेना के रवाना होने के बीच 15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद से अफगानिस्तान को मिलने वाली सभी अंतरराष्ट्रीय सहायता रकी हुई है। लिहाजा, अफगानिस्तान भीषषण आर्थिक संकट से जूझ रहा है।