प्रयागराज । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों द्वारा न्यायालय के आदेश का पालन करने में देरी की टैक्टिस अपनाना राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। नोटिस जारी होने से स्पष्ट है कि आदेश की जानकारी सरकार को हो चुकी है। उम्मीद की जाती है कि आदेश का पालन किया जाएगा, लेकिन वैसा होता नहीं है। 2017 में फैसला हुआ, पांच साल बीतने के बाद भी गरीब वादकारी को फैसले का लाभ अधिकारियों की कारस्तानी की वजह से नहीं मिल सका। न केवल याची को परेशान किया गया, बल्कि कोर्ट के कीमती समय की बर्बादी हुई। विपक्षी डीआइजी स्थापना प्रयागराज राकेश शंकर 31 मार्च 2021 को सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति के फैसले का पालन नहीं किया गया। कोर्ट को हलफनामा दाखिल कर नहीं बताया जा सका कि विपक्षी सेवानिवृत्त हो गया है और उसके स्थान पर नया अधिकारी तैनात नहीं हुआ है। कोर्ट ने डीजीपी मुकुल गोयल को पक्षकार बनाने की अनुमति देते हुए उन्हें डीआइजी स्थापना के न होने पर 21 अप्रैल को हाजिर होने का निर्देश दिया है, ताकि वे अपने मातहत अधिकारियों की कार्यप्रणाली को जान सकें। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने आलोक कुमार की अवमानना याचिका पर दिया है।
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