क्रियायोग से मनुष्य की सीमित चेतना परमात्मा की असीमित चेतना में परिवर्तित: ज्ञानमाता

प्रयागराज। क्रियायोग अभ्यास से मनुष्य की सीमित व सांसारिक चेतना, परमात्ममय असीमित व आध्यात्मिक चेतना में सहज ही परिवर्तित हो जाती है। जिससे साधक अनन्त शक्ति, साहस, धैर्य, दिव्य शान्ति, आनन्द व परमात्मज्ञान व परमानन्द का स्वामी बन जाता है।
यह बातें क्रियायोग विशेषज्ञ ज्ञानमाता डाॅ. राधासत्यम् ने रक्षा असैनिक कर्मचारी, 20विंग, वायुसेना स्थल, बमरौली, प्रयागराज में चल रहे दस दिवसीय क्रियायोग प्रशिक्षण एवं अभ्यास ‘‘व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम’’ में सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि क्रियायोग की नियमित साधना से मनुष्य शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शान्ति, सामाजिक समरसता, आर्थिक समृद्धि व आध्यात्मिक उन्नति की ऊँचाइयों को प्राप्त कर लेता है और उस परम सच की अनुभूति करता है जिस हेतु वह धरती पर आकर शरीर धारण करता है।
उन्होंने बताया कि क्रियायोग साधना ही योग की मूल साधना है, जिसका प्रतिपादन श्रीमहर्षि पतंज्जलि ने किया था। जो श्रीमद्भगवद्गीता के एक-एक श्लोक में वर्णित है। उन्होंने बताया कि महाभारत युद्ध के दौरान कौरवों पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को क्रियायोग का ज्ञान प्रदान किया था और रावण वध के लिए भगवान श्रीराम ने क्रियायोग ध्यान के ही तीरों का संधान कर रावण के अन्दर की राक्षसी प्रवृत्तियों को सात्विक प्रवृत्ति में परिवर्तित किया था।
क्रियायोग की इसी विधा का अभ्यास कबीरदास, गुरुनानकदेव, ईशा मसीह व महर्षि बाल्मीकि ने अपने समय में किया था। वर्तमान आरोही द्वापर युग में इस विधा को मृत्युंजय सन्त श्रीश्री महावतारबाबाजी ने जन्मों जन्मों के अपने प्रिय गृहस्थ शिष्य श्रीश्री लाहिड़ी महाशय को प्रदान कर पुर्नजीवित किया था। लाहिड़ी महाशय ने इस विधा को श्रीयुक्तेश्वरगिरीजी व अपने 24 प्रमुख शिष्यों के माध्यम से समाज के गृहस्थोें में प्रचारित किया और उनसे यह परमहंस योगानन्दजी व क्रियायोग वैज्ञानिक योगी सत्यम् के पास पहुँची और आज उनके द्वारा सम्पूर्ण विश्व को प्राप्त हो रही है। इस अवसर पर ज्ञानमाता ने वायुसेना के रक्षा असैनिक कर्मचारियों को क्रियायोग की रिचार्जिंग क्रिया, भ्रूमध्य दर्शन, सिर व रीढ़ की मुख्य वेदी पूजन आदि की क्रियायोग का अभ्यास करवाकर उन्हें शारीरिक व मानसिक रूप से ऊर्जान्वित होने का बोध करवाया। कार्यक्रम का आयोजन अखिलेश कुमार ने किया।

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