अपने काम के साथ प्रयोग करना पसंद करती हैं रत्ना कलाकार अपने फिल्मी सफर में कई पात्र निभाते हैं। हर पात्र को निभाने का उनका अंदाज अलग होता है। हर बार एक नया अंदाज लाना कलाकारों के लिए भी आसान नहीं होता है।कई कलाकार इस बात पर सहमति जताते हैं कि सफर करना, दुनिया देखना, वहां से अनुभव इकठ्ठा करना हमेशा अभिनय में उनके काम आता है। जयेशभाई जोरदार और धक धक फिल्मों की अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह के साथ भी कुछ ऐसा रहा है। दैनिक जागरण से बातचीत में रत्ना कहती हैं कि जो हम दुनिया में देखते हैं, वही तो सीखते हैं। मैं जो आसपास देखती हूं, वहीं तो मेरी पूंजी है। वही समझ मैं अपने काम में प्रयोग करती हूं।अगर दुनिया ही नहीं देखूंगी, केवल एयरकंडिशन रूम में खुद को बंद रखूंगी, तो मेरी क्या पूंजी बनेगी, किस तरह के किरदार मैं कर पाऊंगी। फिर तो सारी भूमिकाओं को मैं एक तरीके से ही निभाऊंगी। अगर मुझे ज्यादा अनुभव जुटाने हैं, तो दुनिया को और पास से देखना होगा। उसी से मेरी पूंजी बढ़ेगी, मेरे सोच-विचार बढेंगे, काम करने की क्षमता बढ़ेगी।
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