ज्वाला देवी गंगापुरी में शारीरिक के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम का हुआ आयोजन

प्रयागराज: प्रो0 राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) शिक्षा प्रसार समिति द्वारा संचालित, स्थानीय ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर काॅलेज गंगापुरी रसूलाबाद प्रयागराज में शारीरिक वार्षिकोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया  इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में  सत्येन्द्र सिंह  (ऐथलेटिक्स कोच मदन मोहन मालवीय स्टेडियम  प्रयागराज), अध्यक्ष के रूप में  राजवर्धन  (जिला प्रचारक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ काशी प्रान्त), विशिष्ट अतिथि  अनुराग शुक्ल  (असिस्टेंट प्रोफेसर योग शिक्षा ,उत्तर प्रदेश राजर्षी टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज) तथा पर्यवेक्षक के रूप में  विक्रम बहादुर सिंह परिहार (प्रधानाचार्य ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज सिविल लाइंस प्रयागराज)  सतीश सिंह (प्रधानाचार्य सरस्वती विद्या मंदिर इन्टर कॉलेज सर्वोदय नगर अल्लापुर प्रयागराज ) श्रीमती मीना श्रीवास्तव प्रधानाचार्या (ज्वाला देवी बालिका इंटर कॉलेज ममफोर्डगंज  प्रयागराज ) ने हनुमान जी के चित्र पर पुष्पार्चन व दीपार्चन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
विद्यालय के प्रधानाचार्य  युगल किशोर मिश्र   ने मुख्य अतिथि, अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि एवं पर्यवेक्षकगण का परिचय कराते हुये प्रतीक चिन्ह, अंगवस्त्रम व श्रीफल प्रदान कराते हुए स्वागत एवं सम्मान कराया।
इस अवसर पर विद्यालय के छात्र/ छात्राओं द्वारा जूडो, निशानेबाजी, पिरामिड निर्माण, जिम्नास्टिक, आग गोला कूद, नृत्य, पी.टी.प्रदर्शन, चींटी दौड़ आदि का प्रदर्शन कार्यक्रम प्रमुख  शारीरिक आचार्य शिवकुमार सिंह सहयोगी आचार्य कनक सिंह व राजकुमार सिंह के दिशा निर्देश में प्रदर्शित किया गया।
मुख्य अतिथि   ने अपने  उद्बोधन में खेलकूद की महत्ता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि – बदलते युग में नैतिक मूल्यों की स्थापना किये जाने की नितान्त आवश्यकता है, साथ ही खिलाड़ियो को आगे और कठिन परिश्रम करने की सलाह देते हुए कहा कि उन्हें खेलकूद के साथ-साथ पढ़ाई में भी एकाग्रचित्त होकर मेहनत करनी होगी।
विशिष्ट अतिथि ने अपने  उद्बोधन में कहा कि खेल से लोगों का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। ऐसी प्रतियोगिताओं के आयोजन से खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ता है व आपसी भाईचारा कायम होता है।
 कार्यक्रम का संचालन आचार्य सरोज सिंह ने किया। इस अवसर पर अभिभावकगण, समाज के गणमान्य नागरिक,विद्यालय के आचार्य/आचार्या एवं भैया/बहिन उपस्थित रहे।

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