लोकाभिराम श्रीराम के सर्वसमावेशी
चरित की भावपूर्ण मुग्धकारी नाट्य प्रस्तुति
महाकुंभ नगर ।
लोकाभिराम श्रीराम के उदात्त चरित को समर्पित रामायण के विविध प्रसंगो पर केन्द्रित भक्तिरस सराबोर मुग्धकारी नाट्य प्रस्तुति, कौशल्या और कौशल्या नंदन राम को समर्पित बघेली भजन, मध्यप्रदेश के जनजातीय लोकनृत्यों की मंचीय प्रस्तुतियां मध्यपद्रेश मंडप में उपस्थित श्रद्धालुओं व दर्शकों को लुभाती रही।
मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग के सेक्टर सात स्थित मध्यप्रदेश मंडप में सांस्कृतिक संध्या का श्रीगणेश भोपाल की शीला त्रिपाठी के बघेली भजनों से हुआ धनि-धनि नगर अयोध्या धनिय राजा दशरथु, भोला सजि के चले हैं हिमाचल नगरी तथा ‘कौशल्या के कुमार सलो ना हो-कीउ जादू न डारे आदि भजनों ने भक्ति रस की निर्मल धारा से श्रोताओं को भाववि भोर कर दिया, डिण्डौरी के जनजातीय समुदाय के पारम्परिक नृत्यों की छटा भी दर्शकों से संवाद करती नजर आई।
सांस्कृतिक संध्या की सर्वोत्तम प्रस्तुति भोपाल के रंगश्री लिटिल बैले ग्रुप की रामायण पर आधारित नृत्य नाट्य था। राम विवाह और अयोध्या आगमन के बाद वाल्मीकि और रामचरित मानस में वर्णित प्रसंगो को अत्यन्त भावपूर्णव भक्तिरस से सिंचित संवादों को नृत्य-नाट्य शैली में अभिव्यक्ति दी गई। भोपाल की इस नाट्य संस्था की स्थापना 1952 में शांति वर्द्धनगुलवर्धन द्वारा की गई थी। अब तक यह नाट्य संस्था देष-विदेष में रामायण बैले की 700 प्रस्तुतियाॅ कर चुकी है।
नृत्य-नाट्य में राम के सर्वसमावेशी उदात्त-चरित, भारतवर्ष के सांस्कृतिक एकता का संवाहक और भक्ति भाव से परिपूर्ण उनके कठोर और करूणानिधान रूप का अत्यन्त मार्मिक ढंग से अभिनीत किया गया। राम विवाह अयोध्या आगमन, वनवास, सीताहरण और उसके वाद के प्रसंगों को समेटती हुई यह नाट्य प्रस्तुति रावण वध और ‘सबके राम सब-राम के’ और रामराज्य की स्थापना के साथ समाप्त हुइ। राम-जटायू के रूप में प्रताप महंता, सीता के रूप में दीप्ति मंहता, दशरथ, हनुमान-देवाशीश मंहता, कौशल्या, सूर्यणखा-पद्मा सोनकर, वशिष्ठ, सुग्रीव व केवट के रूप में संजय इंगले, रावण दयानिधि, स्वर्ण मृग व त्रिजटा के रूप में मोनिका पाण्डेय का अभिनय अयन्त प्रभावी था। 15 से 17 फरवरी तक सती लीला नाट्य, लोक वाद्य कचहारी, लोक-जनजातीय नृत्यों व निमाडी गायन।
मध्यप्रदेश मण्डपम में म.प्र. शासन के आनंद विभाग द्वारा नैतिक व मानसिक रूप से श्रद्धालुओं को अल्पविराम व अन्य यौगिक क्रियाओं द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब तक इस विभाग के प्रशिक्षकों द्वारा पंाच हजार से भी अधिक लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।