Turkey Boycott| पाकिस्तान का समर्थन करने के बाद भारत में तुर्की का हो रहा बहिष्कार

पाकिस्तान के साथ तुर्की के बढ़ते सैन्य गठबंधन को देखते हुए भारत ने बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। देश के अलग अलग राज्यों में व्यापारियों ने तुर्की का विरोध करने का फैसला किया है। इसी बीच स्वदेशी जागरण मंच ने पाकिस्तान के साथ तुर्की के बढ़ते सैन्य गठबंधन की कड़ी निंदा की है।

इस संबंध में स्वदेशी जागरण मंच ने आधिकारिक बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया है कि तुर्की के साथ तत्काल रुप से आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएं। इसके साथ ही उड़ानों को निलंबित करने और पर्यटन और तुर्की के सामानों का देशव्यापी बहिष्कार करने का आह्वान किया है।

स्वदेशी जागरण मंच ने कहा कि नाटो का सदस्य और कथित रूप से धर्मनिरपेक्ष गणराज्य होने के बाद भी तुर्की खुद को कट्टरपंथी इस्लामी शासन कहता है। हाल के वर्षों में, पाकिस्तान के साथ तुर्की की रणनीतिक रक्षा साझेदारी बढ़ी है। अब तुर्की पाकिस्तान के सशस्त्र बलों को महत्वपूर्ण सैन्य हार्डवेयर, तकनीकी प्लेटफॉर्म और प्रशिक्षण प्रदान करता है। तुर्की चीन के बाद पाकिस्तान के लिए दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है। इसने पाकिस्तान की नौसेना के आधुनिकीकरण और उसकी हवाई युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सबसे परेशान करने वाली घटनाओं में से एक 1.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का सौदा है जिसके तहत तुर्की ने पाकिस्तान को MILGEM श्रेणी के युद्धपोत प्रदान किए हैं, जिससे पाकिस्तान की नौसैनिक हमला करने की क्षमता बढ़ गई है।

बयान के मुताबिक तुर्की की कंपनी बायकर ने भी बायरकटर टीबी2 और अकिंची सशस्त्र ड्रोन वितरित किए हैं। तुर्की की एसटीएम 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुबंध के तहत पाकिस्तान की अगोस्टा 90बी पनडुब्बियों को अपग्रेड कर रही है। रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स की दिग्गज कंपनी हैवेलसन ने पाकिस्तान में इलेक्ट्रॉनिक युद्ध परीक्षण रेंज स्थापित करने में मदद की है। इसके अलावा, 30 T129 ATAK हेलीकॉप्टरों के लिए 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सौदा किया गया, हालांकि तीसरे पक्ष की मंजूरी के कारण डिलीवरी में देरी हुई है। स्वदेशी जागरण मंच ने इस गठबंधन की निंदा करते हुए कहा कि यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सीधे तौर पर खतरे में डालता है। यह रक्षा सहयोग केवल लेन-देन का नहीं बल्कि वैचारिक भी है और दक्षिण एशिया को अस्थिर करता है, जिससे पाकिस्तान के सैन्य दुस्साहस को बढ़ावा मिला है।

मंच के बयान की मानें तो, “ऐसा लगता है कि तुर्की संकट के समय में भारत द्वारा की गई मानवीय सहायता को भूल गया है। फरवरी 2023 में विनाशकारी भूकंप के बाद, भारत “ऑपरेशन दोस्त” शुरू करने वाले पहले देशों में से था, जिसमें 100 टन से अधिक राहत सामग्री, एनडीआरएफ टीमें, सैन्य चिकित्सा इकाइयाँ, फील्ड अस्पताल और आवश्यक आपूर्तियाँ भेजी गईं थी। भारत तुर्की के साथ न केवल एक व्यापारिक साझेदार के रूप में बल्कि वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को कायम रखने वाली एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में भी खड़ा रहा है। जी-20 और संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भारत ने ऊर्जा सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी मुद्दों पर चर्चा सहित तुर्की के साथ समावेशी जुड़ाव का लगातार समर्थन किया है।”

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