आर. के. सिन्हा
आज के दिन हमारे देश का शायद ही कोई छोटा–बड़ा शहर या महानगर बच गया हो, जो दिन भर ट्रैफिक जाम से नहीं जूझ रहा होता है। दिल्ली से लेकर देश की आई टी राजधानी बंगलूरू, और आर्थिक राजधानी मुंबई से लेकर पटना, रांची और लखनऊ, कानपुर आदि तक सभी शहरों की सड़कें आज भारी जाम से त्रस्त हैं। किसी के समझ ही नहीं आ रहा कि सारे देश में जाम की समस्या अचानक इतनी विकट कैसे हो गई? आखिर, हालात ही क्यों इस हद तक बिगड़ने दिए गये। गाड़ियां जिस तरह रेंग रही होती हैं लगता है कि पैदल चलना ही ज्यादा बेहतर है। पर अफ़सोस यह है कि पैदल यात्री चलें भी तो कहा चलें । या तो फुटपाथ ही नहीं हैं और जहाँ हैं भी, वे खोमचों, सब्जी वालों के ठेलों से भरे पड़े हैं।
10-15 साल पहले तक बंगलुरु को देश का आदर्श शहर माना जाता था । मौजूदा हालत यह है कि यहां तो एयरपोर्ट से ले कर शहर के किसी भी मुहल्ले की ओर जाने पर जाम ही जाम मिलता है । एयरपोर्ट जाने में तो अब डर लगने लगा है।
बंगलुरु में तो आज के दिन लाखों आई टी पेशेवर काम करते हैं । इधर सैकड़ों आई टी कम्पनियाँ हैं जिनसे देश को हर साल करोड़ों डॉलर की विदेशी मुद्रा की भी आय होती है। इन नवयुवकों और नव युवतियों को सुबह–शाम जाम में ट्रैफिक से क्या जद्दोजहाद करनी पड़ती है यह कभी जाकर देखें तो रोंगटें खडे हो जायेंगें। पर यहाँ की सड़कों का प्रबंधन ही पूरी तरह चरमरा चुका है। सड़कों पर लगने वाले जाम से बंगलूरू की सुन्दर छवि भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। एक साफ–सुथरा हरियाली भरा शहर अब जाम और वायु प्रदूषण के चपेट में बुरी तरह आ गया है।
अब जरा राजधानी दिल्ली की ओर चलते हैं। इधर कुछ साल पहले तक नई दिल्ली क्षेत्र जिसे लुटियन की बनाई नई दिल्ली कहा जाता है, ट्रैफिक जाम की समस्या से लगभग मुक्त था। अब हालत तो यह है कि इंडिया गेट के गोल चक्कर पर भी जाम लगा रहता है। इंडिया गेट पर जाम लगते ही सड़कों पर हज़ारों वाहन रेंगने लगते हैं। पहले सांसदों को अपने लुटियन जोन के बंगलों से निकलकर संसद पहुँचने में मुश्किल से पांच–सात मिनट लगते थे। अब आधा घंटा तो कभी तो पौन घंटा भी लग जाता हैं। अगर बात नई दिल्ली एरिया से हट करके करें तो राजधानी की लाइफ लाईन रिंग रोड पर तो सदैव जाम ही लगा रहता है। यह हालत तो तब है जब रिंग रोड पर बहुत सारे फ्लाई ओवर और अंडर पास भी बना दिये गये हैं।
दिल्ली से सटे गुरुग्राम, फरीदाबाद और गाज़ियाबाद में भी यही स्थिति है। गुरुग्राम जो दुबई से मिलता जुलता सा शहर है, में भी हज़ारों आई टी पेशेवर, बैंकर और विदेशी नागरिक रहते और काम करते हैं। लेकिन यहां की सड़कों का हाल भी बेहाल ही है। इधर हल्की फुल्की बरसात होने पर भी पांच छह घन्टे तक जाम लगा रहता है। इन सारी विकट स्थितियों का तुरन्त हल तो सरकार को खोजना ही होगा। तो हम देख रहे हैं सारे देश की सड़कें जाम का शिकार हो रही हैं। यह हम कब तक देखते रहेंगें। जाम की वजह से करोड़ों रुपये का ईंधन प्रतिदिन बर्बाद हो रहा है। इसके अलावा लोग वक़्त पर अपने गन्तव्य स्थानों तक भी समय पर नहीं पहुँच पाते।