AAP ने चुनाव को बनाया केजरीवाल सेंट्रिक, अब पाने से ज्यादा बहुत कुछ खोने का डर

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार सोमवार को खत्म हो गया। बुधवार को 70 सीटों पर मतदान होंगे। दिल्ली चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को आएंगे। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी जहां तीसरी बार अपने दम पर सत्ता बरकरार रखने की कोशिश में है। तो वहीं भाजपा हर हाल में अपने 26 वर्षों के वनवास को खत्म करना चाहती है। इस चुनाव में कांग्रेस भी अपनी पूरी ताकत लगा रही है ताकि राष्ट्रीय राजधानी में उसका खोया जनाधार वापस लौटे। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों की मां ने तो मुख्य मुकाबला भाजपा और आम आदमी पार्टी के ही बीच है।

भले ही 8 तारीख को चुनावी नतीजा चाहे कुछ भी आए, लेकिन इतना तो तय है कि आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा ने चुनावी प्रचार में अपना पूरा दमखम दिखाया। भाजपा और आम आदमी पार्टी की पूरी कोशिश घर-घर पहुंचने की थी। इतना ही नहीं, दिल्ली चुनाव को लेकर लोकलुभावन वादे भी खूब किए गए। इसके अलावा केजरीवाल हर रोज एक नए ऐलान के साथ मीडिया के सामने आते थे। दूसरी ओर भाजपा और कांग्रेस भी अपनी रणनीति के मुताबिक एक नई घोषणा कर देती थी। दिलचस्प बात यह भी है कि जिस पिच पर अरविंद केजरीवाल लगातार बैटिंग करते आ रहे हैं, इस बार उनकी ही पिच पर भाजपा और कांग्रेस ने उन्हें घेरने की कोशिश की है।

दिल्ली चुनाव को लेकर राजनीतिक विश्लेषक अलग-अलग दावे कर रहे हैं। हालांकि भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर है। 2015 और 2020 की तरह इस बार आम आदमी पार्टी को एक तरफ बढ़त मिलती दिखाई नहीं दे रही है। हालांकि आखिरी फैसला जनता के हाथों में होता है और नतीजे आने के बाद ही इसको लेकर कुछ कहा जा सकता है। लेकिन अरविंद केजरीवाल भी फिलहाल यह दावा नहीं कर पा रहे हैं कि उनकी पार्टी 60 से ज्यादा सीट जीत सकती है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि आम आदमी पार्टी 55 सीटे जीत रही है।

हालांकि यह बात भी सच है कि नेता अपने हिसाब से दावा करते हैं। लेकिन सच्चाई कुछ और ही रहती है। भाजपा के अंदर खाने में इस बात की चर्चा तेज है कि इस बार हम अपने वनवास को खत्म कर सकते हैं। भाजपा ने भी अपनी गलतियों को सुधारते हुए इस चुनाव में कड़ी मेहनत की है। दिल्ली चुनाव में इस बार भी केजरीवाल सेंट्रिक है। इसे आम आदमी पार्टी की ओर से केजरीवाल सेंट्रिक ही बनाया गया। इसके अलावा कांग्रेस और भाजपा को निशाना साधने के लिए केजरीवाल पर ही हमलावर होना था। जेल से रिहा होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

उसी के बाद उन्होंने कहा था कि जब जनता मुझे फिर से बहुमत देगी, तभी मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठूंगा। तब ही यह साफ हो गया था कि यह चुनाव कहीं ना कहीं केजरीवाल सेंट्रिक होगा। केजरीवाल अपने नाम पर ही लोगों से रेफरेंडम मांगने की कोशिश कर रहे हैं। यह बात भी सच है कि चुनाव में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा अरविंद केजरीवाल की जुड़ी है। उनको पता है कि अगर दिल्ली चुनाव उनके हाथ से गया तो पार्टी के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है। पार्टी जो दिल्ली से निकलकर देश के दूसरे राज्यों में भी अपने प्रसार की कोशिश में है, उसे बड़ा झटका लगेगा।

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