शारदीय नवरात्रि, जिसे महानवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। देवी दुर्गा की पूजा को समर्पित एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह आम तौर पर सितंबर के अंत से अक्टूबर की शुरुआत में नौ रातों तक चलता है। त्योहार की प्रत्येक रात विशिष्ट अनुष्ठानों, उपवास और भक्ति प्रथाओं के साथ, दुर्गा के नौ रूपों में से एक को समर्पित है। नवरात्रि के दौरान, भक्त विशेष प्रार्थनाओं, गरबा और डांडिया जैसे नृत्य और जीवंत सांस्कृतिक प्रदर्शन सहित विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। कब से शारदीय नवरात्रि शुरु हैं?…
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कब है अनंत चतुर्दशी? जानें शुभ मुहूर्त और इसका महत्व
अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है, जो ब्रह्मांड के संरक्षक और कई अवतारों वाले देवता भगवान विष्णु के सम्मान में एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इस पवित्र दिन पर भक्त भगवान विष्णु के अवतारों में से एक, भगवान अनंत की पूजा करते हैं और समृद्धि और प्रतिकूलताओं से सुरक्षा के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं। अनंत चतुर्दशी तिथि और समय 2024 अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर को मनाई जाएगी। यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के 14वें दिन पड़ता है।…
Read Moreलव-अरेंज मैरिज या होगा ब्रेकअप, हथेली की इस रेखा से जानें कब है शादी का योग
हस्तरेखा शास्त्र में हथेली पर मौजूद निशानों, पर्वतों और निशानों को देखकर व्यक्ति के स्वास्थ्य, धन, व्यक्तित्व, प्रेम और करियर आदि के बारे में जाना जाता है। रेखाओं के जरिए भविष्य की घटनाओं के बारे में पता किया जाता है। हथेली में मौजूद रेखाएं कमाल की होती हैं। जातक हथेली की रेखाओं से हर चीज के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा वह भूत-भविष्य की घटनाओं के बारे में भी पता लगा सकता है। वहीं हर व्यक्ति के मन में एक सवाल तो जरूर होता है कि…
Read Moreदिवाली बाद शनिदेव होंगे मार्गी, इन 3 राशियों की होंगी बल्ले-बल्ले,
कर्मफलदाता शनिदेव सभी ग्रहों में से सबसे मंदी गति से चाल चलते है। शनि एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं इसके बाद दूसरी राशि में गोचर करते हैं। ज्योतिष के अनुसार, शनि राशि परिवर्तन करने के साथ-साथ मार्गी और वक्री भी होते हैं। जब शनि राशि परिवर्तन करते हैं तो इसका असर सभी राशियों पर पड़ता है। ज्योतिष के मुताबिक शनिदेव को कर्मफलदाता और न्याय के देवता हैं। शनिदेव अपनी स्वराशि कुंभ में विराजमान है और यह जून माह से वक्री अवस्था में हैं जो दिवाली के…
Read Moreश्राद्ध के दौरान सबसे पहले अग्नि को क्यों दिया जाता भोजन? कब से शुरु है पितृपक्ष
भाद्रपद का माह चल रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से अमावस्या तक के समय को पितृपक्ष कहा जाता है। पितृपक्ष के दौरान पितरों को स्मरण किया जाता, उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करना और तर्पण करने की मान्यता है। धार्मिक मान्याता के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान सभी शुभ कार्य बंद किए जाते हैं। इस दौरान पितरों को तृप्त और उनकी आत्मा को शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है। पितृपक्ष के दौरान अन्न के लिए सबसे पहले अग्नि को भोजन अर्पित करते है। इसके…
Read Moreमंदिर की दहलीज पर क्यों नहीं रखना चाहिए पैर, जानिए इसका ज्योतिषीय कारण
हमारे देश में बहुत सारे मंदिर हैं, मंदिर का हर एक हिस्सा बेहद पवित्र माना जाता है। हालांकि मंदिर में प्रवेश करने के कुछ विशेष नियम होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मंदिर में प्रवेश करने के इन नियमों का पालन करने और भगवान की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मंदिर का एक अहम हिस्सा दहलीज होती है। दहलीज से अक्सर प्रवेश द्वार बनाया जाता है। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं में यह प्रतीकात्मक महत्व रखती है।मंदिर की दहलीज भीतर और बाहरी दुनिया के बीच…
Read Moreगणेश महोत्सव पर बप्पा को लगाएं इन चीजों का भोग
पूरे देश में गणेश महोत्सव का आगाज हो चुका है। गणपति बप्पा के भक्तों को हर साल गणेश चतुर्थी के दिन आगमन का काफी इंजार रहताहै। बता दें कि गणेश महोत्सव का जश्न लगभग 11 दिनों तक मनाया जाता है। इसकी शुरुआत गणेश चतुर्थी से होती है। गणेश चतुर्थी का पर्व महाराष्ट्र और कई राज्यों में काफी धूम से मनाया जाता है। गणेशजी की पूजा के साथ ही उनको भोग लगाना काफी जरुरी है। वैसे तो बप्पा को मोदक सबसे प्रिय है लेकिन, इसके अलावा भी कई ऐसी चीजें हैं…
Read Moreमहिलाओं के लिए बेहद खास होता है ऋषि पंचमी का व्रत
हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। यह व्रत बड़े उत्साह के साथ किया जाता है। इस दिन सप्तऋषि की पूजा की जाती है। इस बार 08 सितंबर को ऋषि पंचमी का व्रत किया जा रहा है। ऋषि पंचमी का व्रत करने से जातक को पाप से मुक्ति मिलती है। मान्यता के अनुसार, ऋषि पंचमी का व्रत करने से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान भोजन को दूषित करने के पाप से मुक्ति मिलती है। बता दें कि महिलाओं…
Read Moreविघ्नहर्ता, शुभकर्ता गणेशजी बहुआयामी देवता हैं
गणेश भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। प्राचीन काल से हिन्दू समाज कोई भी कार्य निर्विघ्न सम्पन्न करने के लिए उसका प्रारम्भ गणपति की पूजा से ही करता आ रहा है। प्रतिकूल, अशुभ, अज्ञान एवं दुःख से परेशान मनुष्य के लिये गणेश ही तारणहार है। वे सात्विक देवता हैं और विघ्नहर्ता हैं। वे न केवल भारतीय संस्कृति एवं जीवनशैली के कण-कण में व्याप्त है बल्कि विदेशों में भी घर-कारों-कार्यालयों एवं उत्पाद केन्द्रों में विद्यमान हैं। हर तरफ गणेश ही गणेश छाए हुए है। भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी को सिद्धि विनायक…
Read Moreभगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने की थी शिव तांडव स्त्रोत की रचना
भगवान शिव के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई तरह से पूजा करते हैं। सोमवार का दिन भोलेनाथ को समर्पित होता है। वहीं भगवान शिव के भक्त उनकी उपासना और पूजा के लिए युगों-युगों से कई स्त्रोत की रचना की है। भोलेनाथ को समर्पित कई ग्रंथों में कई तरह के स्तोत्र की रचनाओं का उल्लेख मिलता है। लेकिन भगवान शिव को सभी रचनाओं में शिव तांडव स्त्रोत सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं। इस स्त्रोत की रचना भगवान शिव के प्रिय भक्त रावण द्वारा रचित है।मान्यता के अनुसार, जो भी…
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