अमेरिका ने आरोप लगाया है कि खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू पन्नू की हत्या की साजिश की गयी जिसमें भारतीय अधिकारी की संलिप्तता रही। भारत ने इस संबंध में जांच बैठा दी है। अमेरिका ने भारत पर दबाव बनाने के लिए अपने दो अधिकारी भी दिल्ली भेजे थे। इस बीच खबर है कि कनाडा के प्रधानमंत्री ने कहा है कि यही बात जब मैं कह रहा था तब कोई नहीं मान रहा था। इस सब को कैसे देखते हैं आप? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि अमेरिका को पन्नू की इतनी चिंता क्यों हो रही है? उन्होंने कहा कि भारत ने साल 2020 में ही पन्नू को आतंकवादी घोषित कर दिया था और उस पर तमाम आरोप लगाये थे जिनके बारे में अमेरिका को जानकारी थी। उन्होंने कहा कि पन्नू अमेरिका में बैठा बैठा भारत सरकार को धमकी देता रहता है, कभी एअर इंडिया को धमकी देता है तो कभी कनाडा में भारतीय अधिकारियों को धमकी देता है तो कभी विदेशों में अन्य भारतीयों को धमकी देता है लेकिन यह सब अमेरिका देखता रहता है। उन्होंने कहा कि एक ओर अमेरिका आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई की बात करता है और दूसरी ओर आतंकियों और अलगाववादियों को पनाह देता है, यह तो साफ दोगलापन है। उन्होंने कहा कि यदि पन्नू भारत सरकार को धमकाये तो क्या भारत सरकार चुपचाप बैठी रहे? उन्होंने कहा कि यदि पन्नू भारत में रह कर इसी तरह अमेरिका को धमका रहा होता तो अमेरिका क्या करता? अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां क्या करतीं? ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिका ने जो आरोप लगाये हैं भारत ने उस पर जांच बैठा दी है क्योंकि जो कुछ सामने दिख रहा है वह भारत सरकार की नीति नहीं है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और कनाडा का मामला बिल्कुल अलग है क्योंकि अमेरिका ने जो मामला उठाते हुए उसके कुछ सबूत पेश किये हैं उस पर भारत ने चिंता जताते हुए जांच बैठा दी है और कनाडा ने जो मामला उठा कर भारत पर आरोप लगाये उसके सबूत कई बार मांगे गये लेकिन कनाडा ने कोई जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री मौके का फायदा उठा कर अपने झूठ को सच बनाना चाहते हैं लेकिन इसमें उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि चाहे पन्नू हो या हरदीप सिंह निज्जर, इन सभी की कई अन्य अलगाववादी गुटों के साथ प्रतिद्वंद्विता है। उन्होंने कहा कि आतंकी और अलगाववादी गुटों की आपसी प्रतिद्वंद्विता में यदि कोई एक दूसरे को नुकसान पहुँचाता है तो इसमें भारत पर सवाल कहां से उठ गये?
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