Russia-Ukraine War: यूक्रेन के खेरसॉन से हटीं रूसी सेनाएं,

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच चल रही जंग को आठ महीनों से ज्यादा का समय बीत चुका है। दोनों देशों में से कोई भी इस जंग में हथियार डालने के तैयार नहीं है। वहीं, इन दोनों देशों की जंग के बीच इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर जी-20 देशों का सम्मेलन होने वाला है। इस सम्मेलन में रूस-यूक्रेन मुद्दे के हावी रहने की संभावना है। इस बीच, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बारे में एक बड़ी खबर निकलकर सामने आई है। दावा किया जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे। वहीं,  यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की द्वारा रूस के साथ वार्ता के लिए अपनी सहमति जताई है। इसके बाद रूस ने अपनी सेना को यूक्रेन के खेरसॉन शहर से हटने का आदेश दिया है।

 जी-20 में पुतिन  नहीं होंगे शामिल
रूसी सूत्रों से मिली एक खबर में कहा गया था कि पुतिन के इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने की संभावना बहुत कम है। जिसके बाद, अब इन संभावनाओं पर विराम लग गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, क्रेमलिन ने साफ कर दिया है कि रूसी राष्ट्रपति इस सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे। सूत्रों के मुताबिक, रूस पुतिन की जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भेजेगा।

कई नेताओं ने पुतिन के भाग लेने का किया था विरोध
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेन्स्की ने भी उनके भाग लेने की स्थिति में कहा था कि अगर ऐसा हुआ तो यूक्रेन इसमें शामिल नहीं होगा। यहां यह बता दें कि यूक्रेन जी20 का सदस्य नहीं है, लेकिन रूस के हमले के बाद की स्थितियों को देखते हुए मेजबान इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने उन्हें खास तौर पर आमंत्रित किया था। इसके पहले पश्चिमी देशों ने दबाव डाला था कि इसमें पुतिन को न बुलाया जाए। जबकि चीन ने कहा था कि अगर रूस को नहीं आमंत्रित किया गया, तो वह भी इसमें हिस्सा नहीं लेगा। इन हालात में बीच का रास्ता निकालते हुए विडोडो ने रूस और यूक्रेन दोनों के राष्ट्रपतियों को यहां आमंत्रित किया है।

रूसी सेना दक्षिणी यूक्रेन के अहम ठिकानों से पीछे हटी
इस बीच, रूस की सेना ने घोषणा की है कि वह यूक्रेन के खेरसॉन क्षेत्र में नीपर नदी के पश्चिमी तट से पीछे हट रही है। सितंबर में इस क्षेत्र को रूस में अपने में विलय कर लिया था। खेरसॉन से अपनी सेना का हटना रूस के लिए एक बड़ा झटका है। यही एकमात्र ऐसी प्रांतीय राजधानी थी जिसपर रूसी सैन्यबलों ने आठ महीने की लड़ाई के दौरान कब्जा किया था।

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